BAU में खुला बिहार का पहला GI क्षेत्रीय फेसिलिटेशन सेंटर, किसानों को मिलेगा बड़ा फायदा

बिहार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में बिहार का पहला जीआइ क्षेत्रीय सुविधा केंद्र फेसिलिटेशन सेंटर शुरू हुआ है. इस केंद्र से किसानों को बड़ा लाभ मिलेगा.

By Anand Shekhar | September 2, 2024 10:19 PM

भागलपुर के सबौर में स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BAU) के अनुसंधान निदेशालय ने नाबार्ड बिहार द्वारा प्रायोजित भौगोलिक संकेत जीआइ क्षेत्रीय सुविधा केंद्र फेसिलिटेशन सेंटर के लिए एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन सोमवार को किया गया. कार्यक्रम कुलपति डॉ डीआर सिंह की अध्यक्षता में हुई. नाबार्ड पटना के मुख्य महाप्रबंधक सीजीएम विमल कुमार सिन्हा इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे. प्रमुख अतिथियों में नाबार्ड पटना के सहायक महाप्रबंधक एजीएम अमिल कुमार गौथम और नाबार्ड भागलपुर के जिला विकास प्रबंधक चंदन कुमार शामिल थे.

अनिल कुमार सिन्हा ने की बीएयू की प्रशंसा

कार्यक्रम की शुरुआत बीएयू के अनुसंधान निदेशक डॉ अनिल कुमार सिंह के द्वारा और जीआइ क्षेत्रीय सुविधा केंद्र के उद्देश्यों और महत्व के बारे में जानकारी देने के साथ हुई. कार्यक्रम के दौरान नावार्ड के सीजीएम विमल कुमार सिन्हा ने बीएयू के कुलपति डॉ डीआर सिंह को जीआइ क्षेत्रीय सुविधा केंद्र के लिए स्वीकृति पत्र प्रस्तुत किया. अपने संबोधन में अनिल कुमार सिन्हा ने बीएयू परिसर की प्रशंसा करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों वाला संस्थान बताया और समर्थन जारी रखने का आश्वासन दिया. दोनों संस्थाओं के बीच सहयोग के महत्व पर जोर दिया.

यह केंद्र किसानों को उनके उत्पादों के लिए जीआइ टैग प्राप्त करने में मदद करेगा : कुलपति

बीएयू के कुलपति ने जीआइ पंजीकरण प्रक्रिया में विश्वविद्यालय की प्रगति के प्रति आशावाद होने की बात कही. यह बिहार का पहला भौगोलिक संकेत जीआइ केंद्र होगा, जो किसानों को उनके उत्पादों के लिए जीआइ टैग प्राप्त करने में मदद करेगा और उनकी आय को बढ़ाने में सहयोग करेगा. उन्होंने कहा कि बीएयू इस लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहा है और जीआइ पंजीकरण से बिहार के किसानों को महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ मिलेगा और व्यापार प्रक्रियाओं को सुगम बनाया जा सकेगा.

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किसानों को उत्पाद के लिए मिलेगा बाजार

कुलपति ने बताया कि बिहार राज्य का पहला भौगोलिक संकेत सुविधा केंद्र मिलने पर राज्य के किसानों को अपने उत्पाद के लिए बड़ा बाज़ार और विदेश में बिकने वाले उत्पादों की अच्छी कीमत मिलेगी. इससे कृषि और इसके संबंध क्षेत्रों में रोजगार और स्वरोजगार बढे़गा.

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