19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार में बाढ़ से झारखंड प्रभावित, रांची, बोकारो और जमशेदपुर डेयरी को भागलपुर से दूध मिलना बंद

बाढ़ का असर न सिर्फ बिहार, बल्कि इसका प्रभाव झारखंड पर भी पड़ रहा है. रांची, बोकारो व जमशेदपुर डेयरी को भागलपुर से दूध की सप्लाइ बंद कर दी गयी है. जिन गांवों में दूध का सर्वाधिक उत्पादन होता है, वह बाढ़ में डूबे हैं.

संजीव, भागलपुर: बाढ़ का असर न सिर्फ बिहार, बल्कि इसका प्रभाव झारखंड पर भी पड़ रहा है. रांची, बोकारो व जमशेदपुर डेयरी को भागलपुर से दूध की सप्लाइ बंद कर दी गयी है. जिन गांवों में दूध का सर्वाधिक उत्पादन होता है, वह बाढ़ में डूबे हैं. भागलपुर डेयरी के पास कुल आवक का आधा दूध ही पहुंच रहा है.

झारखंड की सप्लाइ बंद कर दी गयी

भागलपुर में की जानेवाली दूध की आपूर्ति पर असर न पड़े, इसके लिए झारखंड की सप्लाइ बंद कर दी गयी है. बाढ़ आने से पहले तक भागलपुर डेयरी में 20 हजार लीटर दूध विभिन्न गांवों के पशुपालकों द्वारा भेजा जाता था, जिसे भागलपुर डेयरी की गाड़ियां लाती थी. गंगा व कोसी का जलस्तर बढ़ने से आपूर्ति 10 हजार लीटर हो गयी. दूध व दूध के विभिन्न उत्पादों के खरीदार कम होने के बजाय बढ़ गये हैं. ग्राहकों की मांग को देखते हुए जो दूध झारखंड के तीन जिलों को भेजा जाता था, उसे रोक भागलपुर की मांग पूरी की जाने लगी है.

पानी घुसने से किसानों से संपर्क टूटा

गांव में बाढ़ का पानी घुसने से किसान ऊंचे स्थानों पर चले गये हैं. उनसे संपर्क टूट गया है. कई गांवों में किसान हैं, लेकिन उन गांवों तक हमारी गाड़ियां नहीं पहुंच रही. 20 हजार लीटर दूध की आपूर्ति 10 हजार लीटर हो गयी. भागलपुर में बिक्री पर असर न पड़े, इसके लिए रांची, बोकारो व झारखंड में दूध भेजना बंद करना पड़ा.

हेमेंद्र कुमार, एमडी, भागलपुर डेयरी

Also Read: दाखिल- खारिज के साथ नक्शा देने वाला पहला राज्य बनेगा बिहार, अब नये तरीके से होगा जमीन म्यूटेशन
शिविर में रहना मजबूरी

हम 10 भैंस पालते हैं. खेती नहीं है. भैंस से ही गुजारा करना पड़ता है, लेकिन बाढ़ आने के बाद हवाई अड्डा में आकर रहने लगे हैं, भैंस को पहले की तरह चारा दे नहीं पाते हैं. सरकारी भूसा मिलता है, लेकिन हरी घास नहीं खिला पाते हैं. इस कारण भैंस ने दूध देना कम कर दिया है.

सुनील मंडल, पशुपालक, नुरदीपुर दुधैला

पहले 500 अब 200 रुपये का दूध बेचना मुश्किल

मेरे पास चार भैंस है. जब गांव में थे, तो 500 रुपये तक का दूध बेच लेते थे. बाढ़ आने के बाद हवाई अड्डा स्थित शिविर में आकर रहने लगे हैं, 200 रुपये का दूध मुश्किल से पूरा हो पाता है. इसमें कुछ बिक गया तो बिक गया, नहीं तो पूरा परिवार मिल कर पी लेते हैं. भैंस चराने की जगह कहीं नहीं बची है. हर जगह पानी ही पानी है.

छोटे लाल मंडल, पशुपालक, शहजादपुर, बिहपुर

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें