Bihar Flood: बिहार के उत्तर-पूर्वी भाग में बहने वाली कोसी नदी को बिहार का शोक क्यों कहा जाता है वो इन तस्वीरों से आप समझ सकेंगे. कोसी ने फिर एकबार तांडव मचाया है और कई जिलों में इसकी तबाही देखने को मिल रही है. इस साल कोसी बराज से रिकॉर्ड मात्रा में पानी पिछले दिनों छोड़े गए. जिससे सुपौल और सहरसा समेत कई जिलों के कई इलाकों में बेतहासा पानी घुस गया. लोग अपने घर-द्वार को छोड़कर सुरक्षित स्थान पर चले गए हैं. कोई तंबू लगाकर दिन काट रहा तो कोई खुले आसमान के नीचे ही रहने को मजबूर है.
सुपौल में कोसी की तबाही
सुपौल में गुरुवार को बराह क्षेत्र में कोसी का जलस्तर बढ़ गया जिससे लोगों के बीच भय का माहौल है. कोसी में आयी बाढ़ ने जिले के पांच प्रखंडों और 10 पंचायतों को पूरी तरह तबाह किया है. जबकि करीब 21 पंचायत आंशिक रूप से प्रभावित हैं. कोसी की मार यहां के लोग हर साल झेलते हैं. इनकी आंखों से ही इनका दर्द अभी समझा जा सकता है. कोई तटबंध पर शरण लिए हुए है तो कोई अपने सगे संबंधी के घर चले गए हैं.
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हर साल कोसी सबकुछ छीन लेती है …
तटबंध पर शरण लिए एक पीड़ित रमेश कहते हैं कि कोसी हर साल हमारा सबकुछ छीन ले जाती है. हमारा तो घर, फसल, मवेशी सबकुछ ही खत्म हो जाता है. पानी इसबार जिस तरह तेजी से बढ़ रहा है हम डरे हुए हैं. वहीं आलम कुछ ऐसा है कि बच्चों और बुजुर्गों को लेकर समस्या और बढ़ी दिखी है. सामुदायिक किचेन में भोजन नसीब है. प्रशासन की ओर से कुछ मदद मिल जाता है जिससे दिन कट रहा है. सुपौल में तटबंध के अंदर बसे लोग एनएच किनारे और तटबंध किनारे शरण लिए हुए हैं.
सहरसा में कोसी का तांडव
वहीं सहरसा भी कोसी की मार झेल रहा है. सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत महिषी प्रखंड के गंडौल से लेकर घोंघेपुर तक सड़क किनारे बाढ पीड़ित नीचे पानी और ऊपर धूप व बारिश से हताश और परेशान हैं. कोसी नदी के कहर के बाद बाढ़ से प्रभावित लोगों की जिंदगी पूरी तरह से बेपटरी हो गयी है. हर ओर लबालब भरे पानी के बीच ऊंचे स्थान पर शरण लिए बाढ़ पीड़ित रात के समय में हल्की आवाज से भी सिहर उठते हैं.
किसी तरह कट रही बाढ़ पीड़ितों की जिंदगी
अंधेरे में रात गुजारने को विवश हजारों परिवारों के लिए बिजली के अभाव में पसरा अंधेरा खौफनाक बन गया है. इन्हें केवल इसी बात का भय सताता रहता है कि रात के अंधेरे में कोई विषैला सांप उनके परिवार के लोगों को क्षति न पहुंचा दे. प्रखंड में पिछले छह दिनों से बाढ़ का कहर जारी है. गांवों से लेकर सड़क पर रह रहे लोगों की रात बिजली के बिना गुजर रही है.
भोजन की गाड़ी देख दौड़ पड़ते है बाढ़ पीड़ित
महिषी प्रखंड अंतर्गत गंडौल से लेकर घोंघेपुर तक सड़क किनारे रह रहे बाढ़ पीड़ित शाम मे अंधेरा होते ही भोजन की गाड़ी के इंतजार मे रहते हैं. चूंकि प्रशासन द्वारा संचालित हो रही कम्युनिटी किचन की संख्या कम रहने के कारण ये बाढ़ पीड़ित समाज सेवी संस्थाओं के द्वारा उपलब्ध कराये जाने वाले भोजन के इंतजार में रहते हैं. बुधवार शाम सात बजे के करीब जैसे ही एक गाड़ी पहुंची, बाढ़ पीड़ित समय ना गंवाते हुए सड़क के दोनों ओर बैठ गये. जिसके बाद सभी को खिचड़ी खिलायी गयी.