Bihar News: भागलपुर में घायल युवक की अस्पताल में हुई मौत, परिजनों ने किया जमकर बवाल
Bihar News: भागलपुर में सोमवार रात दो पक्षों के बीच मारपीट में घायल मोहम्मद आफाक की मायागंज अस्पताल में मंगलवार सुबह इलाज के दौरान मौत के बाद मृतक के परिजनों ने जोरदार हंगामा किया. परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया. शव को अस्पताल परिसर के बाहर रखकर मेन गेट को गमछा से बांधकर अस्पताल में आधे घंटे तक मरीजों की आवाजाही बंद कर दी.
Bihar News: भागलपुर में सोमवार रात दो पक्षों के बीच मारपीट में घायल मोहम्मद आफाक की मायागंज अस्पताल में मंगलवार सुबह इलाज के दौरान मौत के बाद मृतक के परिजनों ने जोरदार हंगामा किया. परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया. शव को अस्पताल परिसर के बाहर रखकर मेन गेट को गमछा से बांधकर अस्पताल में आधे घंटे तक मरीजों की आवाजाही बंद कर दी. जब सुरक्षा गार्ड ने इसका विरोध किया तो परिजन मारपीट पर उतारू हो गये. सुबह 9.30 से 10.30 बजे अस्पताल के बाहर हंगामा चला.
पुलिस ने परिजनों को आश्वासन दिया
बरारी थाना पुलिस व दंगा नियंत्रण टीम मौके पर पहुंची. पुलिस ने परिजनों को दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया. इसके बाद परिजन शांत हुए. अस्पताल का गेट खोलकर मरीजों को इलाज के लिए अंदर भेजा गया. एक घंटे के दौरान करीब 200 मरीज अस्पताल के बाहर फंसे रहे. बाद में इन मरीजों को ओपीडी में इलाज कराने में विलंब भी हो गया.
परिजनों का आरोप इलाज नहीं होने के कारण हुई मौत
मृतक की बहन हसीना परवीन ने बताया कि घायल भाई को अस्पताल में भर्ती कराया था. इलाज नहीं होने के कारण उसकी मौत हो गयी. इलाज के लिए डॉक्टर का पैर भी पकड़ा. भाई की जान बचाने के लिए चिल्लाती रही. डॉक्टर कहते रहे कि दूसरा डॉक्टर सुबह नौ बजे आयेंगे, इसके बाद ही इलाज होगा. भाई की सांस चल रही थी. देखते-देखते भाई की मौत हो गयी. डॉक्टर पर केस होना चाहिये. कोई इलाज के लिए नहीं आया.
परिजन ने क्या बताया
परिवार की परवरिश की जिम्मेदारी भाई के भरोसे थी. परिजन ने बताया कि आफाक के सर में चोट थी, उसके सर का बाल काटकर छोड़ दिया गया. ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर डांटकर भगा दिया. कहने लगे सवेरे इलाज होगा. हंगामे के बाद मृतक का पोस्टमार्टम कराया गया.
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हंगामे के बावजूद 2255 मरीजों का इलाज
हंगामे कारण पहली पाली में मरीजों के रजिस्ट्रेशन में विलंब हो गया. विलंब के कारण कई मरीज शाम पांच बजे तक ओपीडी में ही बैठे रहे. दोनों पालियों में 2255 मरीजों का इलाज किया गया.