Bihar News: भागलपुर. बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष और टीएमबीयू के कुलपति रहे डॉ विष्णु किशोर झा ‘बेचन’ आलोचना-साहित्य के अधिकारी विद्वान थे. उन्होंने ‘नीरस’ समझे जाने वाले साहित्यालोचन को समरसता प्रदान की. उनकी आलोचनात्मक टिप्पणी भी किसी कथा-कहानी और काव्य के लालित्य से पूर्ण हुआ करती थी. यह बातें शुक्रवार को बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में डॉ बेचन के स्मृति-पर्व पर आयोजित पुस्तक लोकार्पण और स्मृति सम्मान समारोह की अध्यक्षता करते हुए डॉ अनिल सुलभ ने कही. कहा कि डॉ बेचन का व्यक्तित्व बहुआयामी था. समारोह का उद्घाटन बिहार विधान परिषद के सदस्य डॉ राजवर्द्धन आजाद ने किया.
उन्होंने कहा कि डॉ बेचन हिंदी के महान साहित्याकारों में परिगणित होते हैं. उनके पुत्र डाॅ मनोज कुमार झा ने उनकी स्मृति को जीवित रखने के लिए उनकी कृतियों का प्रकाशन कर एक सुयोग्य पुत्र होने का कर्तव्य पूरा किया है. डॉ आजाद ने डा बेचन की कहानियों के संग्रह ”एक अधूरी कहानी” व वरिष्ठ साहित्यकार ब्रज किशोर पाठक द्वारा संपादित पुस्तक ”डॉ बेचन समग्र (खंड-2)” का लोकार्पण किया. वहीं, कवि ब्रह्मानंद पांडेय को डॉ विष्णु किशोर झा ”बेचन” स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया. डॉ बेचन के पुत्र और विद्यालय परीक्षा समिति के सचिव डॉ मनोज कुमार झा ने उन्हें सम्मान स्वरूप वंदन-वस्त्र, प्रशस्ति-पत्र और स्मृति-भेंट के साथ 11000 रुपये सम्मान राशि भी प्रदान की.
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वहीं, मगध विश्वविद्यालय के पूर्व संकायाध्यक्ष प्रो शैलेंद्र कुमार चौधरी ने डॉ बेचन को दूसरा ”दिनकर” बताया. इस मौके पर डॉ बेचन की पत्नी केसर झा, डाॅ शशि भूषण सिंह, प्रो सुशील कुमार झा, डॉ ब्रज भूषण शर्मा, रानी पाठक, राजेश शुक्ला, डॉ प्रेम प्रकाश, इंदु पांडेय, बांके बिहारी साव, डाॅ शंकर प्रसाद, प्रो रत्नेश्वर मिश्र, कुमार कृष्णन, बच्चा ठाकुर, डॉ मधु वर्मा, डॉ पूनम आनंद, डॉ मेहता नगेंद्र सिंह, चंदा मिश्र, प्रो सुनील कुमार उपाध्याय, प्रो इंद्रकांत झा, डॉ एमके मधु, डॉ नागेंद्र पाठक, जय प्रकाश पुजारी, डॉ शालिनी पांडेय, प्रो रामा शंकर मिश्र, सिद्धेश्वर, डॉ राम गोपाल पांडेय, ई अशोक कुमार, सुनीता रंजन, शंकर शरण मधुकर, नरेंद्र कुमार आदि उपस्थित थे.