Bihar News: भागलपुर के 86 गांव के लोगों को इस गर्मी में नहीं मिल पायेगा शुद्ध पीने का पानी, जानें इसकी वजह

Bihar News: भागलपुर के 86 गांव के लोगों को इस गर्मी में भी शुद्ध पीने का पानी नहीं मिल पायेगा. क्योंकि तीन महीने बाद भी ग्रामीण जलापूर्ति योजना की फाइल मुख्यालय में धूल फांक रही है.

By Radheshyam Kushwaha | February 9, 2025 4:28 AM

ब्रजेश/ Bihar News. भागलपुर में गंगा के पानी को ट्रीटमेंट कर आर्सेनिक प्रभावित 86 गांवों तक पहुंचाने की योजना की समय सीमा फेल हो गयी है. इस गर्मी भी लोगों की प्यास बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना के पानी से नहीं बुझ सकेगी. काम फाइनल करने के लिए मार्च 2025 तक का एक्सटेंशन मांगा गया था, तीन महीने बाद भी इसकी फाइल मुख्यालय में धूल फांक रही है. लेटलतीफी के कारण सबसे ज्यादा नाथनगर प्रखंड के आर्सेनिक प्रभावित इलाकों के लोगों को दिक्कत हो रही है. सुलतानगंज में गंगा किनारे कुछ गांव में जलापूर्ति होनी है. बाकी जलापूर्ति नाथनगर प्रखंड की छह पंचायत के आर्सेनिक प्रभावित गांवों में होगी. पांच जलमीनार का निर्माण हुआ है. ये सभी जलमीनार नाथनगर प्रखंड के दोगच्छी, अजमेरीपुर, शाहपुर आदि में बने हैं.

एक्सटेंशन का आवेदन मुख्यालय में लंबित

यहां बता दें कि बीते एक दशक से सुलतानगंज से नाथनगर तक के लोग इस योजना पर काम होते देख रहे हैं. प्यास बुझाने लायक पानी अब तक उन्हें नहीं मिल सका है. पीएचईडी पश्चिमी डिवीजन ने पूर्व में दावा किया था कि जून 2024 तक योजना पूरी हो जायेगी और जलापूर्ति होने लगेगी. सच्चाई यह है कि सिर्फ पंपिंग स्टेशन का काम 80 फीसदी तक करने में एक दशक लग गये हैं. अभी तो जेटी तैयार भी नहीं हुआ है. पाइपलाइन का काम भी बचा हुआ है. सुलतानगंज बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना साल 2012 में शुरू हुई थी. इसे हर हाल में 2015 तक पूरा करना था. योजना के अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए मुख्यालय ने 56.54 लाख रुपये आवंटित किये गये है.

एजेंसी बदलने के बाद भी काम में तेजी नहीं

विभाग ने सबसे पहले हैदराबाद की आइवीआरसीएल को योजना पर काम करने के लिए बहाल किया. साढ़े 14 महीने तक काम चला, लेकिन विभागीय अधिकारियों को पता चला कि काम तो सिर्फ नौ फीसदी हो पाया है. आश्चर्य यह कि विभाग को लेटलतीफी की जानकारी होने में 14 महीने लग गये. एग्रीमेंट के मुताबिक समय पर काम पूरा नहीं करने की स्थिति में एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई हुई. विभाग ने टेंडर रद्द कर एजेंसी को काली सूची में डाल दिया. काम ठप पड़ा रहा. वर्ष 2018 में री-टेंडर हुआ. कोलकाता की कंपनी मेसर्स रियान वाटर टेक प्राइवेट लिमिटेड को काम दिया गया. साथ ही तेजी से काम कराने के लिए विभाग ने और दो एजेंसी हाजीपुर की कंपनी मंगलम एग्रोकॉन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड एवं कटिहार के पवन चौबे को बहाल किया. वर्तमान में मेसर्स रियान वाटर टेक प्राइवेट काम कर रहा है, फिर भी काम में तेजी नहीं आयी है.

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एक नजर में…

  • सुलतानगंज-नाथनगर बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना की लागत : 80.60 करोड़ रुपये
  • कार्य प्रारंभ : वर्ष 2012
  • कार्य पूरा होने की तिथि : वर्ष 2015
  • चयनित एजेंसी : आइवीआरसीएल, हैदराबाद
  • काम चला : 14 महीने तक
  • काम हुआ : 09 फीसदी
  • कार्रवाई : एजेंसी हुई ब्लैक लिस्टेड
  • री-टेंडर : वर्ष 2018
  • चयनित एजेंसी : मेसर्स रियान वाटर टेक प्राइवेट लिमिटेड, कोलकाता
  • काम में तेजी लाने के लिए और 02 एजेंसी की बहाली : पवन चौबे, कटिहार व मंगलम एग्रोकॉन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड

भागलपुर पूर्वी लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण कार्य प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता सुनील कुमार सुमन ने बताया कि जलापूर्ति योजना का कार्य प्रगति पर है. 80 फीसदी कार्य पूरा हो गया है. मार्च तक योजना पूरी हो जायेगी. टाइम एक्सटेंशन के लिए मुख्यालय को फाइल भेजी गयी है. स्वीकृति नहीं मिली है, लेकिन काम पर इसका असर नहीं पड़ा है. काम चल रहा है.

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