फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी उपरांत चतुर्दशी गुरुवार 11 मार्च को अमृत योग में महाशिवारत्रि (Shivratri 2021) का पावन त्योहार मनाया जायेगा. नाथों के नाथ भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा-अर्चना का इस दिन विशेष महत्व रहता है. ऐसा मानना है कि अमृत योग मिलने के कारण इस दिन पूजा-अर्चना व व्रत करने वालों को विशेष फल की प्राप्ति होती है. इस दिन झारखंड के देवघर में ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ धाम (Deoghar shivratri live) और बिहार के अजगैबीनाथ में भी पूजन का विशेष महत्व है.
शिवरात्री के दिन भी अजगैबीनाथ के जल का विशेष महत्व है. शिवरात्रि के लिए भी मंगलवार को बाबा बैद्यनाथ धाम देवघर के लिए पवित्र गंगाजल भेजा गया. बाबा बैद्यनाथ को यहां से जल भेजे जाने की परंपरा बेहद पुरानी है. अजगैबीनाथ के महंत ने संकल्प कराकर विधि विधान के साथ यहां से जल भेजा.
कहा जाता है कि शिवरात्रि में बाबा बैद्यनाथ का चौथी पहर का अभिषेक अजगैबीनाथ से भेजे गए गंगाजल से ही किया जाता है. उसके बाद ही उनके विवाह की रस्म शुरू होती है. देवघर के पंडा का कहना है कि एक बार 2005 में ऐसा हुआ कि तत्कालिन महंत ने अजगैबीनाथ से जल नहीं भेजा था. इस पर देवघर में पंडा धर्मरक्षणी सभा ने पुरी के शंकराचार्य से इस मामले में सलाह ली थी और उसके बाद अजगैबीनाथ मंदिर के महंत के नाम व गोत्र से जल का संकल्प कराकर मंगाया गया था.
बता दें कि शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक बाबा बैद्यनाथ झारखंड के देवघर में बसते हैं. देवघर का मंदिर बिहार-झारखंड में ही नहीं बल्कि पूरे देश में एक अलग महत्व रखता है. शिवरात्रि के दिन यहां का पूजन अलग ही महत्व रखता है. भक्तों की भीड़ इस दिन अपने भोलेनाथ व माता के दर्शन को उमंग में रहते हैं.
वहीं बाबा बैद्यनाथ व माता पार्वती का विवाह इस नगरी का बेहद अद्भुत दृश्य होता है. पूरी बाबा नगरी इस दिन झूमती नजर आती है. वहीं बाबा बैद्यनाथ को आज भी बिहार के अजगैबीनाथ के जल का इंतजार रहता है. दरअसल, आम दिनों की बात करें या भोलेनाथ के विशेष माह सावन का, उन्हें कांवरिया बिहार के सुल्तानगंज स्थित अजगैबीनाथ धाम में बह रही उत्तरवाहिनी गंगा का जल ही ले जाकर अर्पण करते हैं.
Posted By: Thakur Shaktilochan