PHOTOS: बिहार के भागलपुर में जापानी टेक्नोलॉजी से मछली पालन की तस्वीरें, केज कल्चर के बारे में जानिए..

PHOTOS: बिहार के भागलपुर में जापानी तकनीक का इस्तेमाल करके मछली पालन किया जा रहा है. केज कल्चर से मछली पालन शुरू किया गया है. नारायणपुर क्षेत्र में गंगा कोल ढाब में 18 कैज निर्माण के साथ यह प्रयास सफल हुआ है.देखिए तस्वीरें..

By ThakurShaktilochan Sandilya | November 4, 2023 4:49 PM
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दीपक राव, भागलपुर: अंग क्षेत्र की प्रगति में नया अध्याय जुड़ने जा रहा है. पहली बार जापानी टेक्नोलॉजी केज के माध्यम से मछली का पालन करने की शुरुआत भागलपुर में हो गयी. इतना ही नहीं चार माह पहले शुरू किया गया प्रयास नारायणपुर क्षेत्र में गंगा कोल ढाब में 18 कैज निर्माण के साथ सफल हुआ और अब मछली का पालन भी सुविधाजनक तरीके से होने लगा है.

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54 लाख की लागत से बना है 18 कैज, फास्ट है मछली का ग्रोथ रेट

जिला मत्स्य विकास पदाधिकारी राजकुमार रजक ने बताया कि केज में मछली पालन करना सुविधाजनक है. साथ ही मछली का ग्रोथ रेट भी फास्ट होता है. एक कैज की लागत तीन लाख रुपये हैं, जबकि 18 केज की लागत 54 लाख रुपये है. जापानी टेक्नोलॉजी से मछली का पालन किया जा रहा है. अभी प्रयोग के तौर पर शुरू किया गया है. मत्स्यपालक किसान लूसी कुमारी ने मत्स्य विभाग की मदद से मछली का पालन शुरू किया है.

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क्या है कैज टेक्नोलॉजी व प्लान?

जापानियों द्वारा मछली उत्पादन के क्षेत्र में एक नया आयाम खोला गया है, जापान की इस पद्धति ने पहले से ही पर्याप्त लोकप्रियता प्राप्त की. यह साबित किया है कि यह ताजे पानी की मछलियों की तालाब संस्कृति या समुद्री मछलियों के उथले समुद्र-जल संस्कृति की तुलना में अधिक उत्पादन देता है. मछली उत्पादन की संस्कृति का यह तरीका समुद्री और बहता जल के लिए भी लागू है. केज कल्चर, जिसे नेट-पेन कल्चर के रूप में भी जाना जाता है, इसकी परिधि के चारों ओर एक प्लवनशीलता प्रणाली के साथ पानी के स्तंभ में निलंबित एक जाल होता है. अक्सर जाल को एक वर्गाकार या आयताकार विन्यास (चार भुजाएं और एक तल) में लटकाया जाता है, लेकिन कुछ पिंजरा प्रणालियां वृत्ताकार जालों का उपयोग करती हैं. मत्स्य पालक लूसी कुमारी ने कहा कि नई तकनीक की बात है तो केज कल्चर इसका ताजा प्रमाण है. विभाग द्वारा भी इस तकनीक को प्रोत्साहित किया गया. मत्स्य विभाग की ओर से कैज के माध्यम से मछली पालन योजना शुरू की गयी है. इसके लिए कोल ढाब या अन्य नदी के टापूनुमा जलस्रोत में जहां 20 फीट से अधिक पानी सालोंभर रहे, वहां मछली पालन कराने की योजना है. कैज के नीचे मजबूत जाल होता है, जो कि बाढ़ की स्थिति में भी मछली सुरक्षित रहती है.

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एयर ब्रिडिंग वाली मछली का होता है पालन

कैज में एयर ब्रिडिंग मछली का पालन होता है. जो मछली ऊपर आकर सांस ले. इससे मछली को बढ़ने में सुविधा होती है. इस तरह की मछली में सिलन, कवई आदि आती है. एक कैज में दो से तीन हजार तक की मछली का पालन होता है. ऐसे में 18 कैज में एक साथ लगभग 54 हजार मछली का पालन किया जा रहा है.

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निश्चित रूप से जिले में केज कल्चर की सहायता से मत्स्य उत्पादन में उत्साहजनक बढोत्तरी होगी. इससे मत्स्य पालकों में आर्थिक संपन्नता जायेगी. वर्षा कम होने के बाद भी मत्स्य पालन का व्यवसाय काफी लाभ देगा. अन्य मत्स्य पालकों को भी इसका अधिक से अधिक लाभ लेना चाहिए. अन्य मत्स्यपालक किसानों का भी आवेदन लिया जा रहा है. विभागीय वेबसाइट पर आवेदन किया जा सकता है.

कृष्ण कन्हैया, जिला मत्स्य पदाधिकारी, भागलपुर

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