बिहपुर थाना में पुलिस द्वारा पिटाई से इंजीनियर के मौत मामले में हत्या का केस दर्ज किये जाने के बाद उच्च स्तरीय जांच शुरू कर दी गयी है. किसी तरह का पक्षपात न हो, इसके लिये पुलिस के साथ-साथ अबतक हुई कार्रवाई में दंडाधिकारी ने कागजी प्रक्रिया पूरी की है. चाहे वह इंक्वेस्ट का मामला हो या फिर पोस्टमार्टम का. सभी जगहों पर बिना परिजनों के मांग के ही पुलिस पदाधिकारी और जिला प्रशासन ने प्रतिनियुक्त किये गये मेजिस्ट्रेट की मौजूदगी में कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा किया गया. उक्त बातों की जानकारी भागलपुर रेंज डीआइजी सुजीत कुमार ने दी.
डीआइजी ने बताया कि उक्त मामले में पुलिस का स्टैंड क्लियर है. मामले में कहीं भी पक्षपात न हो, इसके लिये हर संभव कदम उठाये जा रहे हैं. वहीं पूरे मामले की वह खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं. डीआइजी ने बताया कि घटना की जांच के लिये विशेष एसआइटी का गठन किया गया है. इसमें नवगछिया पुलिस जिला के सबसे काबिल पुलिस अफसरों को लगाया गया है. एसआइटी ने कार्रवाई शुरू कर दी है. जिसमें घटनास्थल पर मौजूद लोगों, प्रत्यक्षदर्शियों व मृतक का इलाज करने वाले डाक्टरों आदि का बयान दर्ज किया जायेगा. साथ ही एसआइटी में मौजूद पुलिस पदाधिकारियों को बलों के साथ आरोपित तत्कालीन थानाध्यक्ष रंजीत कुमार मंडल की गिरफ्तारी के लिये छापेमारी में लगाया जायेगा.
डीआइजी सुजीत कुमार ने बताया कि मामले में हो रही जांच और हर एक कार्रवाई की वह खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं. वहीं सभी आवश्यक निर्देश के लिये नवगछिया एसपी स्वप्ना जी मेश्राम द्वारा दिये जाने की बात कही. उन्होंने बताया कि जिस थाना में पुलिस की बर्बरता का मामला सामने आया है, वहां पूर्व से ही सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जिसके फुटेज को जब्त कर उसकी जांच की जा रही है. जब्त किये गये सीसीटीवी कैमरे के डीवीआर में घटना को लेकर पुख्ता सबूत मिलने की संभावना है.
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डीआइजी ने बताया कि मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आते ही मामले में फरार थानाध्यक्ष की गिरफ्तारी के लिये वारंट के लिये अर्जी कोर्ट में दी जायेगी. डीआइजी ने बताया कि मामले में दंडाधिकारी की मौजूदगी में बनाये गये इंक्वेस्ट में सभी बातें स्पष्ट है. मजिस्ट्रेट और पुलिस द्वारा बनाये गये डेथ इंक्वेस्ट में प्रथम दृष्ट्या पिटाई से होने की बात कही गयी है. जो कि अपने आप में एक सबूत है. एफएसएल द्वारा जांच किये जाने के बाद बुधवार को घटनास्थल की जांच के लिये पटना से फोटो सेक्शन के वैज्ञानिकों को बुलाया गया था. जिन्होंने सभी टेक्निकल और साइंटिफिक घटनाओं को लेकर सबूत एकत्रित किया है.
डीआइजी ने बताया कि पोस्टमार्टम से हत्या होने की बात पता चलने के बाद घटना के कारणों का तत्कालीक कारण का पता लगाया जायेगा. आखिर घटनास्थल पर ऐसी क्या बात हुई थी, जो थानाध्यक्ष को अमानवीय कार्रवाई करनी पड़ी. उन्होंने बताया कि दोषी के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की जायेगी.
इधर, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मामले की जांच कर रही एसआइटी टीम को थाना में एक आवेदन और एक स्टेशन डायरी इंट्री मिली है. दिये गये आवेदन मृतक आशुतोष पाठक के किसी रिश्तेदार संजय पाठक के नाम से है. जिन्होंने आवेदन में लिखा है कि वह आशुतोष को सही सलामत थाना से लेकर जा रहे हैं. वहीं उक्त आवेदन को लेकर थाना के स्टेशन डायरी में इंट्री भी की गयी है. अब पुलिस इसकी जांच कर रही है कि क्या थानाध्यक्ष द्वारा जबरन उक्त आवेदन को मृतक के परिजनों द्वारा लिखवाया गया था. मामले में थानाध्यक्ष के साथ घटना के वक्त मौजूद दो होमगार्ड जवान, एक चौकीदार का भी मामले में बयान लिया जायेगा.
आशुतोष की थाना में बर्बरता से हुई पिटाई के बाद मौत मामले में अब तक की जांच में घटना से जुड़े कई लोगों और गवाहों का बयान दर्ज किया जा चुका है. जानकारी के अनुसार अब तक मिले बयानों में यह स्पष्ट हो गया है कि चेकिंग प्वाइंट पर हुए विवाद के बाद तत्कालीन थानाध्यक्ष रंजीत मंडल अपनी जीप पर आशुतोष को लेकर थाना गये थे. इधर, पुलिस को यह भी जानकारी मिली कि जिस प्वाइंट पर चेकिंग की जा रही थी, वहां एसएसटी (स्टैटिक सर्विलांस टीम) की प्रतिनियुक्ति थी. जिसमें मजिस्ट्रेट के साथ-साथ पुलिस अफसर और बलों की भी प्रतिनियुक्ति थी. उक्त लोगों का भी मामले में बयान लिया जायेगा.
Posted by : Thakur Shaktilochan