प्रभात खबर पड़ताल
– प्राचीन अंग की राजधानी चंपा के इस घाट से होता था देश-दुनिया में सिल्क का निर्यात
गौतम वेदपाणि, भागलपुर प्राचीन अंग महाजनपद की राजधानी चंपा का वर्तमान स्वरूप नाथनगर का चंपानगर है. जो चंपा नदी के किनारे बसा है. इस नदी के किनारे सेमापुर घाट या गोकुल गंगा घाट का इतिहास काफी समृद्ध है. लेकिन इस समय घाट की स्थिति काफी दयनीय है. पूरे नाथनगर इलाके के नाले का गंदा पानी इस घाट पर गिराया जा रहा है. चंपानगर के कपड़ा उद्योग से निकलने वाला जहरीले पानी भी यहीं बह रहा है. घाट के किनारे कूड़ा फेंका जा रहा है. दुर्गंध फैला हुआ है. इस होकर चंपानगर चौक से तांती टोला व विषहरी स्थान चौक तक रास्ता गुजरता है. घाट के सौंदर्यीकरण को लेकर जिला प्रशासन उदासीन है. स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री व डीएम समेत अन्य पदाधिकारियों को घाट के विकास की मांग को लेकर पत्र लिखा है. वार्ड नंबर दो के पूर्व पार्षद विनय कुमार लाल व कपिलदेव प्रसाद बताते हैं कि इस घाट पर ही चंपानगर के प्राचीन विषहरी मंदिर में स्थापित प्रतिमा का विसर्जन हर साल होता है. सदियों पहले चंपा में विश्व प्रसिद्ध सिल्क व्यापारी चंद्रधर सौदागर हुए थे. वह सेमापुर घाट का छोटे बंदरगाह के रूप में प्रयोग करते थे. वहीं देश व दुनिया में सिल्क कपड़े का नाव व जहाज से निर्यात करते थे. चंद्रधर के बेटे बाला के शव के साथ मंजूषा में बैठकर महासती बिहुला सेमापुर घाट से ही स्वर्ग की ओर प्रस्थान की थी. उन्होंने बताया कि हमारे पास लिखित साक्ष्य है कि इस घाट पर मां विषहरी की प्रतिमा विसर्जन के लिए 1632 ईस्वी में तत्कालीन शासन से आदेश मिला था. सेमापुर घाट से जुड़ी है भगवान जगन्नाथ व वासुपूज्य की गाथा : मौजीलाल झा इंटर महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो शिवशंकर प्रसाद बताते हैं कि सेमापुर घाट के सामने प्राचीन भगवान जगन्नाथ का मंदिर है. इस मंदिर की स्थापना एक हजार साल पहले रामानंद संप्रदाय के साधु संन्यासियों ने किया था. इसी घाट के पास जैन धर्म के भगवान वासुपूज्य का मंदिर है. सेमापुर घाट से भगवान वासुपूज्य की जीवनी जुड़ी है. जैन संप्रदाय के अनुयायी देशभर से यहां सालों भर हजारों की संख्या में आते हैं. लेकिन मंदिर के निकट सेमापुर घाट की हालत देखकर काफी निराश होते हैं. सेमापुर घाट पर छठ पर्व की प्राचीन परंपरा है : स्थानीय निवासी प्रणव कुमार लाल, संजीव कुमार, प्रमोद कुमार साह, अशोक लाल, श्रवण कुमार लाल, गौरी शंकर प्रसाद, वीरेंद्र कुमार व अन्य ग्रामीणों ने बताया कि इस घाट पर छठ पर्व मनाने का का इतिहास काफी पुराना है. लेकिन सरकारी उपेक्षा के कारण इस घाट की स्थिति नर्क जैसी है. चंपा के इस धरोहर को बचाने की जरूरत है. इसके लिए जल्द ही स्थानीय लोग डीएम से मुलाकात करेंगे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है