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चंपानगर के सेमापुर घाट को विकसित करने को तैयार हुए डीएम

चंपानगर के सेमापुर घाट को विकसित करने को तैयार हुए डीएम

प्रभात खबर इंपैक्ट

– चंपानगर के स्थानीय लोगों ने डीएम से मिलकर घाट के सौंदर्यीकरण की मांग की

– अंगक्षेत्र की धरोहर को बचाने की जरूरत, चंपानदी के किनारे स्थित है सेमापुर घाट

वरीय संवाददाता, भागलपुर

नाथनगर के चंपानगर स्थित सेमापुर घाट को विकसित करने की आस अब जगने लगी है. चंपानदी के किनारे सेमापुर घाट से अंग का स्वर्णिम इतिहास जुड़ा हुआ है. इस घाट की दुर्दशा को लेकर प्रभात खबर में 24 जून को प्रमुखता से खबर छपी. अखबार की पहल के बाद चंपानगर के स्थानीय लोग भी एकजुट हुए. शुक्रवार को डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी से मिलकर सेमापुर घाट को विकसित करने की मांग की. डीएम को जब सेमापुर घाट के इतिहास की विस्तार से जानकारी दी गयी. तब डीएम ने घाट के विकास को लेकर अपनी सहमति जतायी. उन्होंने कहा कि जल्द ही घाट के विकास का प्रारूप तैयार किया जायेगा. डीएम से मिलने वालों में पूर्व पार्षद विनय कुमार लाल, कपिलदेव प्रसाद, मदन लाल, प्रेमपाल राउत व शैलेंद्र कुमार थे. कपिल देव प्रसाद ने बताया कि डीएम ने घाट की जमीन से संबंधित जानकारी ली. वहीं घाट पर सीढ़ी व अन्य सुविधा के निर्माण के बारे में पूछा. डीएम को बताया गया कि 35 से 50 लाख रुपये की राशि से घाट का उद्धार हो सकता है. डीएम को बताया गया कि आवेदन को प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री समेत स्थानीय नगर निगम प्रशासन के पास भेजा गया है. गृह मंत्रालय ने भी राज्य सरकार से संपर्क कर आवेदन पर काम शुरू करने का आश्वासन फोन के माध्यम से दिया.

महासती बिहुला व मंजूषा से जुड़ा सेमापुर घाट का इतिहास : अंग महाजनपद की राजधानी चंपा का वर्तमान स्वरूप नाथनगर का चंपानगर है. यहां बहने वाली चंपानदी के किनारे सेमापुर घाट अंगक्षेत्र का धरोहर है, इसे बचाने की जरूरत है. सदियों पहले चंपा के विश्व प्रसिद्ध सिल्क व्यापारी चंद्रधर सौदागर सेमापुर घाट का छोटे बंदरगाह के रूप में प्रयोग करते थे. वहीं देश व दुनियां में सिल्क कपड़े को नाव व जहाज से निर्यात करते थे. चंद्रधर के बेटे बाला के शव के साथ मंजूषा में बैठकर महासती बिहुला सेमापुर घाट से ही स्वर्ग की ओर प्रस्थान की थी. लिखित साक्ष्य के अनुसार सेमापुर घाट पर मां विषहरी की प्रतिमा विसर्जन के लिए 1632 इस्वी में तत्कालीन शासन से आदेश मिला था.

भगवान वासुपूज्य की जीवनी से जुड़ा है सेमापुर घाट : सेमापुर घाट के पास जैन धर्म के 12वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य का मंदिर है. सेमापुर घाट से भगवान वासुपूज्य की जीवनी जुड़ी है. जैन संप्रदाय के अनुयायी देशभर से यहां सालों भर हजारों की संख्या में आते हैं. लेकिन मंदिर के निकट सेमापुर घाट की हालत देखकर काफी निराश होते हैं. सेमापुर के सामने प्राचीन भगवान जगन्नाथ का मंदिर है. इस मंदिर की स्थापना एक हजार साल पहले रामानंद संप्रदाय के साधु संन्यासियों ने किया था.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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