छत्रपति शिवाजी ने सनातन की रक्षार्थ खुद को किया था समर्पित

rfलकामांझी स्थित कृषि भवन के आत्मा सभागार में अक्षय तृतीया पर शुक्रवार को परशुराम जयंती और छत्रपति शिवाजी जयंती पर विशेष कार्यक्रम हुआ.

By Prabhat Khabar News Desk | May 10, 2024 9:22 PM

rfलकामांझी स्थित कृषि भवन के आत्मा सभागार में अक्षय तृतीया पर शुक्रवार को परशुराम जयंती और छत्रपति शिवाजी जयंती पर विशेष कार्यक्रम हुआ. श्री रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने कहा कि जीवात्मा के कल्याण के लिए संस्कृति से जुड़ी परिचर्चा यह समारोह आयोजित किया गया है. संतों का काम होता है मेला लगाना. छत्रपति शिवाजी ने सनातन और हिंदुत्व की रक्षार्थ अपने आपको समर्पित कर दिया था. जिस समय देश में औरंगजेब का शासन था, उस समय शिवाजी ने सनानत धर्म का पताका लहरा दिया. उन्होंने मुगलों से युद्ध करके उन्हें हताश कर दिया. स्वामी आगमानंद जी ने कहा कि अक्षय तृतीय के दिन से त्रेता युग आरंभ हुआ. यह युग में भगवान राम, भगवान परशुराम सहित कई अवतार हुए. अक्षय तृतीया को दान का काफी महत्व है. देवता भी दान करते हैं.

आगे कहा कि शिवाजी ने भारत में उस समय हिन्दवी साम्राज्य की स्थापना की, जिस समय लोग अपने आपको हिंदू कहने से कतराते थे. शिवाजी महाराज राजा होकर भी किसी संत के कम नहीं थे. शिवाजी को कभी नहीं भुलें. उनका आदर्श हिंदुत्व के लिए प्रेरणादायी है. समारोह में डॉ लक्ष्मीश्वर झा, डाॅ आशा तिवारी ओझा, पंडित शंभुनाथ शास्त्री, डाॅ हिमांशु मोहन मिश्र दीपक, हरिशंकर ओझा, गीतकार राजकुमार, मुरारी मिश्र, डा. मिहिर मोहन मिश्र सुमन जी, स्वामी माधावानंद, कुंदन बाबा, प्रभात कुमार सिंह, चंदन, मनोरंजन कुमार सिंह, पंडित प्रेम शंकर भारती, शिव प्रेमानंद आदि उपस्थित थे.

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