दो साल तक आमलोगाें को नहीं मिली सुविधा, अब स्वच्छता सर्वेक्षण के बहाने खुलने लगे ई-टॉयलेट
सिल्क सिटी भागलपुर को स्मार्ट सिटी योजना में शामिल हुए आठ साल बीत गये. इसके बाद इंप्लीमेंटेशन में शहरवासियों को स्मार्ट सुविधा मिलना तो दूर मूलभूत सुविधा भी नहीं मिल पा रही है.
अब भी अधिकतर ई-टॉयलेट में लटका है ताला, कबाड़ में तब्दील
लगभग 2.5 करोड़ की लागत से टॉयलेट बनाकर शहर में तैयार किया गया है. इससे पूर्व भी शहर में बायो टॉयलेट बना कर तैयार किया गया था. जिसका कोई अता-पता नहीं है, इसमें भी करीब 50 लाख रुपये की लागत लगी थी और फिर करोड़ों रुपए पानी में बहाया जा रहा है. सरकारी बस स्टैंड में बने दो ई-टॉयलेट में पानी टंकी आदि की सुविधा दी गयी है, लेकिन पैसा लेकर अंदर जाने का दोषपूर्ण तकनीक स्मार्ट सिटी के पदाधिकारियों के लिए गले की हड्डी बन गयी. शहर में कई जगहों पर ई-टॉयलेट बनाकर तैयार तो किया गया लेकिन उसकी स्थिति अब कबाड़ से भी बदतर हो गयी है. कई जगहों पर बने ई-टॉयलेट चालू ही नहीं हो पाये. कई जगहों पर जब चालू हुआ तो उसका फंक्शन ही फेल हो गया. अब कबाड़ में बिकने लायक हो गयी.लोगों ने बयां की परेशानी
सरकारी बस स्टैंड आये मो जहांगीर अंसारी ने कहा कि अधिकतर लोग अब भी दीवार के किनारे जाकर मूत्र विसर्जन करते हैं. सुबह सैंडिस कंपाउंड टहलने आये डॉ पीएन सिंह ने बताया कि उन्हें बहुमूत्रता की बीमारी है. बार-बार पेशाब लगता है. जब टहलने जाते हैं, तो यहां सार्वजनिक स्थान पर जाने में परेशानी होती है. सैंडिस में बने ई-टॉयलेट में भी ताला बंद है. बायो टॉयलेट बंद ही पड़ा रहा. लाजपत पार्क समीप रोमी कुमारी ने बताया कि ई टॉयलेट के बारे में ना ही पूछे तो अच्छा होगा. कभी खुला देखा ही नहीं है. कई बार महिलाएं यहां पर परेशान हो जाती है.
स्वास्थ्य शाखा प्रभारी विकास हरि ने बताया कि स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर पुराने टॉयलेट, नये बंद पड़े टॉयलेट को संवारने की तैयारी है. स्मार्ट सिटी योजना के तहत तैयार ई-टॉयलेट को खोलने का काम शुरू हो गया है. पहले यह पेयेवल था, जबकि अब इसे नि:शुल्क रखा जायेगा. इसका दरबाजा भी खोल दिया जायेगा, ताकि किसी को खोलने और लगाने में दिक्कत नहीं हो. प्रतिदिन यहां पानी व सफाई की व्यवस्था की जा रही है. इससे स्वच्छता की रेटिंग बेहतर होगा और भागलपुर स्मार्ट सिटी को आगे बढ़ाया जा सकेगा.
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