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मारपीट के 17 साल पुराने मामले में दोषियों को किया रिहा

मारपीट के 17 साल पुराने मामले में दोषियों को किया रिहा

सुल्तानगंज थाना में 17 साल पूर्व (वर्ष 2007 में) परशुराम मंडल ने कुछ लोगों पर मारपीट का केस दर्ज कराया था. उक्त मामले में पुलिस की ओर से चार्जशीट दाखिल किये जाने के बाद 2010 से मामले में सुनवाई शुरू हुई. सीजेएम कोर्ट में चली सालों की लंबी सुनवाई के बाद कांड में तीन अभियुक्तों को दोषी पाया गया था. जिन अभियुक्तों को दोषी पाया गया था उनमें विजय मांझी, केशव नारायण भगत और दिलीप भगत शामिल हैं. शुक्रवार को मामले में सजा के बिंदु पर सुनवाई की गयी. इसमें तीनों अभियुक्तों को प्रोबेशन ऑफ ऑफेंडर्स एक्ट का लाभ दिया गया. इसके बाद उन्हें कोर्ट से ही रिहा कर दिया गया. क्या है प्रोबेशन ऑफ ऑफेंडर्स एक्ट प्रोबेशन ऑफ ऑफेंडर्स एक्ट, 1958 एक ऐसा कानून है जो अपराधियों को समाज में बेहतर व्यवहार करने की उनकी क्षमता प्रदर्शित करने का मौका देने के लिए बनाया गया है. इसका उद्देश्य कुछ अपराधों के लिए कारावास के विकल्प प्रदान करना और सजा के स्थान पर पुनर्वास को बढ़ावा देना है. दहेज हत्या व नीरज चौधरी हत्याकांड के अभियुक्तों की जमानत याचिका खारिज मधुसूदनपुर थाना क्षेत्र के कबीरपुर के समीप रहने वाले मो अरमान की पत्नी की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गयी थी. उक्त मामले में परिजनों ने दहेज हत्या का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था. जिसके बाद पुलिस ने मृतका के पति मो अरमान और ससुर मो सुलेमान को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. उक्त मामले में जेल में बंद दोनों अभियुक्तों की ओर से जमानत याचिका दाखिल की गयी थी. जिसपर शुक्रवार को सुनवाई कर कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया. एक सप्ताह पूर्व नाथनगर में हुए नीरज चौधरी हत्याकांड में शामिल अभियुक्त सूरज कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. उसकी ओर से दाखिल जमानत याचिका पर भी सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया. हथियार के साथ घूमते अधिवक्ता को मिली जमानत करीब एक माह पूर्व 21 मई को तिलकामांझी पुलिस ने जवारीपुर इलाके से हथियार के साथ घूम रहे अधिवक्ता पप्पू यादव को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. उक्त मामले में कोर्ट में दाखिल जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उनकी याचिका को मंजूर करते हुए जमानत दे दी. आरोपित अधिवक्ता की ओर से अधिवक्ता नारायण पाठक ने जमानत याचिका के दोरान जिला जज की अदालत में बहस में हिस्सा लिया. इधर नगर निगम की ओर से सरकारी कार्य में बाधा के मामले में प्रतीक झुनझुनवाला के विरुद्ध सरकारी कार्य में बाधा के आरोप में दर्ज मामले में भी उन्हें अग्रिम जमानत दे दी गयी.

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