भागलपुर: कोरोना वैश्विक महामारी ने रिश्तों की परिभाषा बदल दी है. कुछ अपनों को बिसरा दे रहे, तो कुछ ने रिश्तों की मिशाल कायम की है. कुछ की लाश व्यवस्था के कारण लावारिस हो गयी, तो कुछ को अपनों ने ही ठुकरा दिया. ऐसे काल में एक अलग ही कहानी है भागलपुर गृहरक्षक विभाग में होमगार्ड के तौर पर प्रतिनियुक्त रविंद्र नाथ ठाकुर के बेटे कौशल किशोर की.
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श्री ठाकुर का सपना था कि उनका बेटा बड़ा साहब बने. बेटे ने भी पिता के सपनों को रंग भरा और आइसीआइसीआइ बैंक में नौकरी पा ली. पहली पोस्टिंग सपनों की नगरी मुंबई में हुई. नयी नौकरी ऊपर से मुंबई की रौनक पर कोरोना काल में अपने के मुंह मोड़ने की घटनाओं से आहत कौशल सीधे अपने घर आये और स्पष्ट तौर पर कह दिया कि नहीं जायेंगे, पहले बेटे का धर्म निभायेंगे.
बता दें कि भागलपुर जिला के होमगार्ड रविंद्र नाथ ठाकुर अब अपने रिटायरमेंट के नजदीक पहुंच चुके हैं. उनका सपना था कि रिटायरमेंट से पहले अपने बेटे को अच्छी नौकरी करते हुए देखें, पर रविवार को नवगछिया के मकंदपुर से आयी खबर ने दोनों पिता-पुत्र की जिंदगी ही बदल दी.
सदन रहे रविवार को नवगछिया में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई. एक वृद्ध की मौत हो गयी, पर लोगों ने कोरोना के अफवाह पर अंतिम संस्कार में शामिल होने से इनकार कर दिया. इस कारण पीड़ित बेटे को अकेले अंतिम संस्कार करना पड़ा. बाद में उक्त वृद्ध की जांच रिपोर्ट निगेटिव आयी. इसी घटना से मर्माहत हैं पिता-पुत्र ने यह निर्णय लिया. लोग इस निर्णय की सराहना कर रहे.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya