भागलपुर से मिहिर की रिपोर्ट:
कोरोना संक्रमण नहीं हो इसके लिए हर कोई सामाजिक दूरी से लेकर मास्क, सैनिटाइजर का प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन जेएलएनएमसीएच के मेडिसिन विभाग में भर्ती कोरोना पॉजिटिव व संदिग्ध मरीजों के परिजन नहीं मान रहे हैं. कोविड 19 के मरीज को सामान्य मरीज मान उनके साथ आराम से बैठ कर गप मारते हैं. रात में उनके पास ही सो रहे हैं. मरीज के साथ परिजन बिना मास्क के वार्ड में रह रहे हैं. हेल्थ मैनेजर, नर्स और डॉक्टर जब इन लोगों को यहां से निकालते हैं, तो सीधे अस्पताल के बाहर आकर बैठ जाते हैं. जब अधिकारी ड्यूटी खत्म कर घर जाते हैं, तो मरीज के परिजन सीधे वार्ड में चले जाते हैं.
कोरोना पॉजिटिव व संदिग्ध मरीज से जरा सी लापरवाही से कोई भी संक्रमण का शिकार हो सकता है. कोरोना पॉजिटिव मरीज के परिजन साथ रहेंगे, तो उनको भी संक्रमण का खतरा होगा. जैसे-जैसे उनका मरीज ठीक होगा, वैसे-वैसे परिजन बीमार होकर इसी अस्पताल के बेड पर चले आयेंगे.
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मरीज के साथ कम से कम तीन परिजन आ रहे हैं. अस्पताल प्रबंधन मरीज के अलावा किसी को वार्ड में आने की अनुमति नहीं देता है. परिजन मरीज के पास पहुंच संक्रमण साथ लेकर बाहर निकलते हैं. वार्ड से निकले मरीज दूसरे को कर सकते हैं संक्रमित सुबह होते मरीज के परिजन सीधे अस्पताल के बाहर चले आते हैं. यहां चाय दुकान, कभी पैथोलैब में जांच रिपोर्ट के बारे में पता करने, तो कभी दवा लाने मेडिकल स्टोर जाते हैं. ऐसे में एक भी परिजन कोरोना संक्रमण का शिकार हो जाता है, तो इससे कितने लोग प्रभावित होंगे इसे आसानी से समझा जा सकता है.
अस्पताल के हर गेट पर तैनात सुरक्षा गार्ड को स्पष्ट निर्देश है कि कोई भी बाहरी आदमी अस्पताल में नहीं जा सके. इसके बाद भी परिजन वार्ड में चले जाते हैं. यह सारा खेल दोपहर दो बजे के बाद होता है. परिजनों का दलील है कि हमारा मरीज पॉजिटिव नहीं है, बल्कि संदिग्ध है. संदिग्ध मरीज पॉजिटिव मरीज से भी खतरनाक होता है. इनके शरीर में कैसा वायरस है, इसका पता जांच के बाद ही होता है. ऐसे में जो लापरवाही यहां हो रही है, उसे रोकने के लिए सुरक्षा को और पुख्ता बनाने की जरूरत है.