टीएमबीयू में जमा 356 करोड़ की राशि वापस हो सकता है. उच्च शिक्षा के निर्देशक रेखा कुमारी ने टीएमबीयू को राशि वापस करने के लिए पत्र लिखा है. मंगलवार को इस आशय का पत्र विवि को प्राप्त हुआ है. निर्देशक ने कई बिंदुओं को लेकर भी आपत्ति भी जतायी है. पत्र में कहा कि उक्त राशि अबतक खर्च नहीं किये जाने पर विवि के वित्तीय प्रशासन पर प्रश्न चिन्ह खड़ा किया है. निर्देशक ने कहा कि विवि से लगातार अनुरोध किया गया था कि विवि के पीएल खाता एवं बैंक खातों में सावधिक जमा सहित खर्च नहीं की गयी है. उस राशि को वापस किया जाये. विश्वविद्यालय को निधि की आवश्यकता होती है, तो विभाग द्वारा समीक्षा के बाद उक्त राशि विमुक्त करने पर विचार किया जायेगा. विभाग से पूर्व में निर्देश दिया था कि वेतन व पेंशनादि की राशि एक माह के अंदर व्यय की जाये. निर्देशक ने पत्र में कहा कि मुख्यालय में 23 जुलाई को रजिस्ट्रार, एफए, एफओ के साथ बैठक हुई थी. समीक्षा में सामने आया था कि विवि के पीएल खाता में कुल 74 करोड़ उपलब्ध है. विवि के पीएल खाता एवं आंतरिक खाता की राशि को छोड़कर लगभग 356 करोड़ उपलब्ध है. जबकि पीएल खाता में अनुदान की राशि लगभग 2.6 करोड़ है, जो खर्च नहीं किया गया है. जबकि राशि विवि के अनुशंसा पर ही विमुक्त की गयी थी. यह राशि विवि को मार्च 2023 या उससे पूर्व विमुक्त किया गया था. विवि में लंबे समय से राशि का खर्च नहीं किया जाना गंभीर विषय है. विवि के वित्तीय प्रशासन पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है. पत्र में कहा गया कि विभाग ने विवि को जानकारी दिया था कि उनके आंतरिक स्रोत में लगभग 92 करोड़ की राशि उपलब्ध है. सेवानिवृत शिक्षक-कर्मचारी संघ के संयोजक डॉ पवन कुमार सिंह ने मामले में कहा है कि तत्काल सभी बकाया भुगतान विवि को करना चाहिए. लेकिन विश्वविद्यालय की एक चूक से भुगतान नहीं किया जा सका. जिन लोगों ने ऐसा किया है. वे वित्तीय अपराध की श्रेणी में आयेंगे. —————————- विवि ने 43 फीसदी ही कमिर्यों का डाटा किया अपलोड – उच्च शिक्षा के निर्देशक रेखा कुमारी ने पत्र में कहा कि 20 जून को जारी पत्र में स्पष्ट कहा गया था कि जुलाई 2024 से कर्मियों को वेतानादि का भुगतान नई व्यवस्था के तहत किया जायेगा. पे-रॉल मैनेजमेंट पोर्टल पर कॉलेज व विवि द्वारा कर्मियों के अपलोड किये गये डाटा के आधार पर ही वेतन का भुगतान किया जायेगा. लेकिन विवि ने अबतक केवल 420 कर्मियों (कुल का 43 फीसदी) ही डाटा अपलोड किया है. 23 जुलाई के बाद इस पर कोई काम नहीं हुआ है. कर्मियों का डाटा अपलोड नहीं होता है. ऐसे में जुलाई का वेतन फंस सकता है.
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