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bhagalpur news. प्रत्येक सप्ताह में छह स्कूलों का निरीक्षण करेंगे डीईओ व बीडीओ

जिले के विभिन्न स्कूलों से आ रही शिकायतों के मद्देनजर जिलाधिकारी डाॅ नवलकिशोर चौधरी ने भागलपुर के डीईओ और प्रखंड के सभी बीडीओ को आगाह किया है.

जिले के विभिन्न स्कूलों से आ रही शिकायतों के मद्देनजर जिलाधिकारी डाॅ नवलकिशोर चौधरी ने भागलपुर के डीईओ और प्रखंड के सभी बीडीओ को आगाह किया है. जिलाधिकारी ने इस बाबत पत्र जारी कर कहा कि बड़ी संख्या में समर्पित शिक्षकों के प्रयास से स्कूलों की स्थिति में सुधार आया है तो दूसरी तरफ आश्चर्यजनक मुद्दे प्रकाश में आये हैं. इसमें फर्जी उपस्थिति, विद्यार्थियों की अत्यधिक संख्या, शिक्षक की उपस्थिति, कम अवधि तक शिक्षकों का विद्यालय में रहना, विद्यालयों से निकटता संबंधी शिकायत सामने आये हैं. जिलाधिकारी ने पत्र में कहा कि उक्त आलोक में सचेत किया गया है कि यदि विद्यालयों के निरीक्षण में किसी भी पदाधिकारी या कर्मचारी के द्वारा लापरवाही की जाती है तो उनके विरूद्ध निलंबन, विभागीय कार्यवाही या बर्खास्तगी का भी दंड अधिरोपित किया जाएगा. जिलाधिकारी ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को आगाह करते हुए कहा है कि यदि स्थिति में सुधार नहीं होता है तो आपको जवाबदेह मानते हुए आपके विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी. डीईओ तीन प्रखंडों एवं बीडीओ अपने क्षेत्र के छह विद्यालयों का निरीक्षण कर प्रत्येक सप्ताह प्रतिवेदन जिलाधिकारी को उपलब्ध करायेंगे.

एसीएस की चिट्ठी पर हरकत में जिला प्रशासन

दरअसल शिक्षा विभाग के एसीएस एस सिद्धार्थ ने स्कूलों से आ रही शिकायतों के बाद सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी किया है. एससीएस द्वारा सभी डीईओ को जारी पत्र में शिकायतों के पांच बिंदुओं को विस्तार से बताया गया है. शिक्षकों की फर्जी उपस्थिति पर उन्होंने कहा कि कुछ विद्यालयों में प्रधानाध्यापक और शिक्षकों द्वारा उपस्थिति अभी लगायी जा रही है. यह दिखा जा रहा है कि 50 फीसदी से अधिक छात्र उनके विद्यालय में उपस्थित हैं. जबकि वास्तव में ऐसा नहीं होता है. कई स्कूलों में नामांकित छात्रों की संख्या अधिक होती है, लेकिन उपस्थिति कम होती है. वहीं परीक्षा में सभी स्कूल आ जाते हैं. कई शिक्षक ऐसे हैं जिनका मूल उद्देश्य यह रहता है कि उनकी हाजिरी बन जाय और वे कक्षाएं संचालित करने की अपेक्षा सिर्फ अपनी उपस्थिति बनाये रखते हैं. कई ऐसे हैं जो विद्यालय में कम अवधि के लिए रहते हैं और अपने निजी कार्यों के निष्पादन के लिए स्कूल छोड़ देते हैं.

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