Deoghar ropeway accident: देवघर स्थित त्रिकूट पहाड़ रोपवे हादसे में फंसे 46 लोगों को मंगलवार दोपहर तक सुरक्षित निकाल लिया गया. इस हादसे में शहर के काजीचक निवासी कौशल्या देवी समेत उनके परिवार के छह सदस्यों को रोपवे से हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू किया गया. रविवार दोपहर बाद चार बजे से सोमवार चार बजे तक परिवार के सभी सदस्य सैकड़ों फीट की ऊंचाई पर हवा में 24 घंटे भूखे प्यासे लटके रहे.
रेस्क्यू के बाद सदर अस्पताल देवघर में प्राथमिक उपचार के बाद मंगलवार दोपहर दो बजे परिवार के सभी सदस्य सुरक्षित वापस भागलपुर शहर लौट आये. प्रभात खबर से बातचीत में कौशल्या देवी ने बताया कि बीते रविवार को रामनवमी के अवसर पर बासुकीनाथ मंदिर से पूजा कर लौटने के दौरान सभी त्रिकूट पर्वत पर पहुंचे. यहां पर करीब 3.30 बजे के बाद रोपवे पर चढ़कर त्रिकूट पर्वत की ओर बढ़े.
उन्होंने बताया कि ट्रॉली में मेरे साथ बेटियां अनन्या राज और अन्नू राज समेत भांजा डिंपल, मुन्ना व नीरज कुमार मौजूद थे. जिस ट्रॉली में हम बैठे थे, वह सबसे ऊंचाई पर था. रविवार पौने चार बजे ट्रॉली जैसे ही त्रिकूट पर्वत के निकट पहुंचा, एकाएक ट्रॉली को जोर से झटके लगने लगे. चारो ओर से चीखने-चिल्लाने की आवाजें आने लगी. रोपवे की ट्रॉली पेड़ के पत्ते की तरह तेजी से हिलने लगा.
इसी दौरान मेरे सिर पर लोहे से गंभीर चोट आयी. बच्चे ट्रॉली के अंदर इधर-उधर गिरने लगे. करीब एक-दो मिनट में ट्रॉली शांत पड़ गया. इसी स्थिति में करीब 24 घंटे तक ट्रॉली में भूखे-प्यासे समय बिताने के बाद सोमवार शाम चार बजे हेलीकॉप्टर से परिवार के सभी सदस्यों को सुरक्षित निकाल लिया गया. सेना के जवान हेलीकॉप्टर से रस्सी लगाकर ट्रॉली के अंदर आये. पहले दोनों बच्चियों को बाहर निकाला गया. रेस्क्यू के बाद त्रिकूट पर्वत के समीप कैंप में हमारी स्वास्थ्य जांच की गयी. खाना खाने और पानी पीने के बाद हमें सदर अस्पताल देवघर में भर्ती कराया गया.
काजीचक निवासी परिवार के सदस्यों ने बताया कि रविवार शाम से लेकर पूरी रात हमलोग ट्रॉली में फंसे रहे. रात को ठंडी हवा चलने से सभी ठंड से कंपकंपाने लगे. वहीं, दिन निकलने के बाद थोड़ा आराम मिला. लेकिन, दोपहर तक ट्रॉली के अंदर का तापमान काफी बढ़ गया. भूख और प्यास के बीच परिवार के सदस्यों की तबीयत तेजी से बिगड़ने लगी. बच्ची बेसुध होने लगी.
मैंने ट्रॉली की खिड़की से अपने लाल रंग की साड़ी लहराकर कई बार मदद मांगी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. लाउडस्पीकर से बार-बार धैर्य बनाये रखने और जल्द मदद पहुंचाने का अनाउंसमेंट होता रहा. परिवार के सदस्यों ने बताया कि दूसरे रोपवे से एक ट्रॉली बार-बार ऊपर आ रही थी. ट्रॉली में बैठे सेना के जवान हमारा हिम्मत बढ़ाते रहे.
सदर अस्पताल देवघर से कौशल्या देवी के परिवार को मंगलवार को रिलीज किया गया. महिला ने बताया कि बाबा बासुकीनाथ की कृपा से परिवार के सभी सदस्य सुरक्षित बाहर निकल आये. हादसा के दौरान हमने फिर से पूजा करने की मन्नत मांगी थी. इसलिए देवघर से भागलपुर लौटने के दौरान हमने फिर से बासुकीनाथ धाम जाकर पूजा-अर्चना की.