22 घंटे तक सड़क पर बीता मां काली की प्रतिमा के साथ श्रद्धालुओं का समय, नम आंखों से दी विदाई
विसर्जन शोभायात्रा में 22 घंटे से अधिक समय हजारों श्रद्धालुओं का मां काली की प्रतिमा के साथ सड़क पर बीता. छह किलोमीटर लंबी काली विसर्जन शोभायात्रा में मां काली का विविध रूपों को लोगों ने देखा. परबत्ती, इशाकचक, मोमिनटोला, हबीबपुर में बुढ़िया काली, मंदरोजा में हड़बडिया काली, रिकाबगंज में नवयुगी काली, उर्दू बाजार, कचहरी परिसर और बूढ़ानाथ में मसानी काली, हुसैनाबाद की जुल्मी काली, बमकाली आदि नाम व रूप में मां की प्रतिमा दिखी. नम आंखों से मां काली को रविवार को विदाई दी गयी. शोभायात्रा में 80 के करीब प्रतिमाएं शामिल हुईं.
विसर्जन शोभायात्रा में 22 घंटे से अधिक समय हजारों श्रद्धालुओं का मां काली की प्रतिमा के साथ सड़क पर बीता. छह किलोमीटर लंबी काली विसर्जन शोभायात्रा में मां काली का विविध रूपों को लोगों ने देखा. परबत्ती, इशाकचक, मोमिनटोला, हबीबपुर में बुढ़िया काली, मंदरोजा में हड़बडिया काली, रिकाबगंज में नवयुगी काली, उर्दू बाजार, कचहरी परिसर और बूढ़ानाथ में मसानी काली, हुसैनाबाद की जुल्मी काली, बमकाली आदि नाम व रूप में मां की प्रतिमा दिखी. नम आंखों से मां काली को रविवार को विदाई दी गयी. शोभायात्रा में 80 के करीब प्रतिमाएं शामिल हुईं.
कहीं मुंह से आग निकाला, तो कहीं तलवारबाजी, तो कहीं घोड़े का नृत्यजल्दी रूट पर प्रतिमाओं को बढ़ाया आगे, विसर्जन कराने में हो गये पीछे
जितनी जल्दी प्रतिमाओं को विसर्जन रूट में आगे बढ़ाने में प्रशासन की ओर से दिलचस्पी दिखायी गयी, उतनी ही विसर्जन में धीमी गति हो गयी. दरअसल विसर्जन रूट में पहली बार सुबह पांच से छह बजे तक बूढ़ानाथ चौक परबत्ती की प्रतिमा को आगे बढ़ा दिया गया, तो सुबह नौ बजे आदमपुर चौक पहुंचा दिया गया. इसके बाद परबत्ती की प्रतिमा बड़ी खंजरपुर पहुंचने में दो से तीन घंटे लग गये. अचानक यहां विसर्जन रथ का ट्यूब पंक्चर हो गया. बार-बार ट्यूब पंक्चर होने से दोपहर एक से पांच बजे लग गये. साढ़े पांच बजे पुलिस की मदद से नया चक्का लगाया गया. फिर प्रतिमा आगे बढ़ी और संध्या 6:40 बजे विसर्जन कराया जा सका. जितना जल्दी स्टेशन चौक से आदमपुर पहुंचने में समय लगा. उससे तीनगुना समय कुछ दूरी तय करने में लग गया.
हजारों लोगों ने लिया शोभायात्रा में हिस्सा बच्चे हों या बूढ़े, महिला हो या पुरुष, सभी इस विसजर्न शोभा यात्रा के गवाह बने. पुलिस-प्रशासन की मुस्तैदी व स्थानीय लोगों की सूझ-बूझ से जुलूस शांतिपूर्ण तरीके से घाट तक पहुंची. 22 घंटे के विसजर्न यात्रा में लोगों ने पूरी आस्था व जोश के साथ हिस्सा लिया. संध्या 6:40 बजे पहली प्रतिमा परबत्ती की बुढ़िया काली महारानी का विसर्जन किया गया. देर रात तक सभी 80 प्रतिमाओं का विसर्जन मुसहरी घाट में कर दिया गया. मां काली की जयकारों से गूंजा शहर विसजर्न शोभा यात्रा के दौरान पूरा शहर ‘जय काली’ व काली माय की जय’ के जयकारों से गूंजता रहा. तकरीबन सभी प्रतिमा के पीछे परंपरागत अस्त्र-शस्त्रों का प्रदर्शन किया जा रहा था. डीजे की धुन पर युवा थिरक रहे थे. जगह-जगह श्रद्धालु धूप, दीप व अगरबत्ती लेकर मां काली की आरती कर रहे थे. पूरा शहर माता की आराधना में लीन था. इस बीच कुछ जगह छिटपुट घटनाएं भी हुईं. पुलिस ने तुरंत हस्तक्षेप कर स्थिति संभाल ली.———-
मेला में फुटपाथी दुकानदारों की रही बल्ले-बल्लेमेला में फुटपाथी दुकानदार खिलौने, चाट-पकौड़े, आइसक्रीम, झूले वालों की बल्ले-बल्ले रही. 1000 से अधिक लोगों ने पूरे मार्ग में अपनी दुकानें सजायी और लाखों रुपये की कमाई की. एक-एक दुकानदार ने पांच से 10 हजार का कारोबार किया. इसके अलावा विसर्जन घाट पर भी मिठाई व अन्य व्यंजन की दुकानें सजायी गयी थी.
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