भागलपुर में जिन कोचिंग सेंटरों की फाइलों पर कुंडली मारे बैठा है शिक्षा विभाग, उनकी जांच करेगा जिला प्रशासन
दिल्ली में कोचिंग संस्थान में हुई तीन लोगों की मौत जैसी घटना भागलपुर में न हो, इसके लिए जिला प्रशासन सख्त हो गया है. इस संबंध में जिलाधिकारी ने अनुमंडल जांच कमेटी गठित कर कोचिंग संस्थान की जांच करने का निर्देश दिया है. इस कमेटी की अध्यक्षता एसडीओ करेंगे.
संजीव झा
Bihar Coaching: भागलपुर जिले के जिन 266 कोचिंग इंस्टीट्यूट को निबंधित करने की फाइल व बैंक ड्राफ्ट पर जिला शिक्षा कार्यालय कुंडली मार कर बैठा हुआ है, अब जिला प्रशासन उन संस्थानों की जांच कराने जा रहा है. जिला शिक्षा कार्यालय की लापरवाही से यह बता पाना मुश्किल है कि कितने कोचिंग इंस्टीट्यूट निर्धारित मानक को पूरा नहीं करते. निबंधन के लिए कोचिंग इंस्टीट्यूट द्वारा जमा कराये गये 13.30 लाख रुपये के बैंक ड्राफ्ट सरकारी खाते में फल-फूल रहे हैं. निबंधन की प्रक्रिया पूरी हुई होती, तो छात्र-छात्राओं को सुरक्षा के साथ-साथ वो तमाम सुविधाएं मिलतीं, जो निबंधित संस्थानों के लिए आवश्यक है.
हाल में नयी दिल्ली स्थित राजेंद्र नगर में एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में गत 27 जुलाई को अचानक पानी भर गया था. वहां अध्ययनरत तीन विद्यार्थियों की मौत हो गयी. इस तरह की दुखद घटना की रोकथाम के लिए जिलाधिकारी ने कोचिंग संस्थानों की जांच कराने का निर्णय लेते हुए कमेटी का गठन किया है.
वर्ष 2010 के बाद शुरू हुई थी प्रक्रिया
बिहार राज्य में बिहार कोचिंग संस्थान (नियंत्रण एवं विनियमन) अधिनियम 2010 में लागू हुआ था. इसके बाद 20 मई 2010 को शिक्षा विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह ने जिलाधिकारियों को पत्र लिख कर कोचिंग संस्थानों के निबंधन की प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया था. पत्र के प्राप्त होने के दो साल बाद वर्ष 2012 से भागलपुर में निबंधन की प्रक्रिया शुरू की गयी थी.
वर्ष 2012 से शुरू हुआ था आवेदन
भागलपुर में कोचिंग संस्थानों पर दबाव बनना शुरू हुआ, तो वर्ष 2012-13 में 49 संस्थानों ने जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय में आवेदन किया. फिर वर्ष 2016 में 217 संस्थानों ने आवेदन किया. प्रत्येक संस्थान ने नियम के अनुसार 5000 का बैंक ड्राफ्ट भी जमा किया, जिसे सरकारी खाते में जमा कर दिया गया.
आवेदन पाने के बाद यह हुई थी प्रक्रिया
जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय में आवेदन प्राप्त करने के बाद दिसंबर 2016 में तत्कालीन जिलाधिकारी के निर्देश पर डीडीसी के नेतृत्व में आवेदनों की स्क्रूटनी के लिए स्क्रीनिंग कमेटी गठित की गयी. इसमें डीडीसी, डीइओ, स्थापना शाखा के डीपीओ व डीएसओ शामिल किये गये. स्क्रूटनी करने के लिए डीइओ ऑफिस से कई बार डीडीसी के पास फाइल भेजी गयी. लेकिन आज भी फाइल पेंडिंग है.
अधिनियम में यह है प्रावधान
- अधिनियम के लागू होने के एक माह के भीतर कोचिंग का निबंधन जरूरी
- बिना निबंधन कोई भी कोचिंग न तो स्थापित होगा, न ही संचालित
- निबंधन की अवधि तीन वर्ष की होगी
- शिक्षकों की न्यूनतम योग्यता स्नातक जरूरी
- विभिन्न पाठ्यचर्या, पाठ्यक्रम पूर्ण करने की अवधि, फीस के साथ प्रोस्पेक्टस भी तय हो
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जिला प्रशासन ने गठित की है कमेटी
जिलाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी ने जिले में संचालित विभिन्न कोचिंग संस्थानों की जांच कराने का निर्देश दिया है. अनुमंडलवार जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया है. कमेटी में संबंधित क्षेत्र के एसडीओ अध्यक्ष बनाये गये हैं. सदस्य के रूप में अनुमंडलीय अग्निशमन पदाधिकारी, संबंधित क्षेत्र के नगर कार्यपालक पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी व थानाध्यक्ष को शामिल किया गया है. दो अगस्त को गठित की गयी कमेटी को संयुक्त जांच रिपोर्ट 16 अगस्त तक उपलब्ध कराने कहा गया है.
इन मानकों की होगी जांच
- कोचिंग संस्थानों के विधिवत निबंधन की स्थिति
- सुरक्षा मानकों के अनुपालन की स्थिति
- संस्थान से संबद्ध कोर्स
- नामांकित छात्र-छात्राओं की संख्या
- उपस्कर, प्रकाश, पेयजल, शौचालय
- बिल्डिंग बायलॉज का अनुपालन
- फायर एग्जिट की व्यवस्था
- प्रवेश व निकास द्वार की पर्याप्त व्यवस्था
- पार्किंग और आकस्मिक स्थिति से निबटने की व्यवस्था