जिलाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी की अध्यक्षता में भगवान प्रमंडलीय पुस्तकालय को लेकर संबंधित पदाधिकारी के साथ शुक्रवार को बैठक हुई. बताया गया कि भगवान प्रमंडलीय पुस्तकालय की स्थापना वर्ष 1913 में की गयी. वर्ष 1918 में पुस्तकालय से संबंधित ट्रस्ट का निबंधन कराया गया. पुस्तकालय 15 कट्ठा जमीन पर अवस्थित है. इसे संचालित रखने के लिए भगवान प्रसाद चौबे और उनका भतीजा आलोपी प्रसाद चौबे द्वारा 84 बीघा जमीन दान दिया गया था. विभिन्न दस्तावेजों के अवलोकन से यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि 84 बीघा जमीन कहां है. मौजा वासुदेवपुर, मधुसुदनपुर, पंचगछिया व खरीक में जमीन होने के संकेत मिल रहे हैं. अपर समाहर्ता (राजस्व) द्वारा बताया गया कि बिहपुर के झंडापुर में दो प्लॉट क्रमशः एक एकड़ 77 डिसमिल और तीन एकड़ 36 डिसमिल पुस्तकालय की होने की जानकारी प्राप्त हुई है.
बताया गया कि पुस्तकालय संचालन के लिए गठित समिति में मुख्य पदों पर भू-दाता के ही वंशज काबिज रहे हैं, जबकि नियमानुसार प्रमंडलीय पुस्तकालय का अध्यक्ष आयुक्त और सचिव क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक को होने चाहिए. वर्ष 2021 में पुस्तकालय का सरकारीकारण किया गया है और इसके संचालन के लिए सरकार द्वारा अनुदान भी उपलब्ध कराया जा रहा है. समीक्षा क्रम में यह पाया गया कि समिति के गठन में कई तथ्य नियम अनुकूल नहीं है. वर्ष 1966 तक जिलाधिकारी व जिला शिक्षा पदाधिकारी को समिति के सदस्य के रूप में रखा गया है, लेकिन बाद के वर्षों में उन्हें समिति में शामिल नहीं किया गया है. यह किसके निर्देश पर हुआ, सक्षम पदाधिकारी कौन थे? इन तथ्यों का जिक्र नहीं मिल रहा है. जिलाधिकारी ने इसकी जांच के लिए जांच कमेटी का गठन किया है, जिसे तथ्यों को जांच कर प्रतिवेदन उपलब्ध करवाने का निर्देश दिया है. बैठक में अपर समाहर्ता (जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी), संयुक्त निदेशक (जन संपर्क), जिला शिक्षा पदाधिकारी, वरीय कोषागार पदाधिकारी आदि उपस्थित थे.
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