Bhagalpur_News राहत शिविर लगाने की मांग को लेकर डीएम कार्यालय पहुंचे बाढ़ पीड़ित

राहत शिविर लगाने की मांग को लेकर डीएम कार्यालय पहुंचे बाढ़ पीड़ित

By Prabhat Khabar News Desk | August 14, 2024 9:12 PM

राहत शिविर की व्यवस्था करने की मांग को लेकर दिलदारपुर शंकरपुर बिंदटोली के बाढ़ पीड़ित बुधवार को डीएम कार्यालय पहुंच गये. पीड़ितों का कहना था कि गंगा के जलस्तर में तेजी से हो रही बढ़ोतरी के कारण उनलोगों का गांव पूरी तरह से जलमग्न हो गया है. सबों के घर डूब जाने के कारण उनलोगों के समक्ष अब रहने और खाने की समस्या है. पीड़ितों ने कहा कि हर वर्ष बाढ़ आने के बाद वे लोग तिलकामांझी विश्वविद्यालय के रविंद्र भवन के पास कुछ दिनों के लिए रहते हैं. इस बार वहां उनलोगों को रहने नहीं दिया जा रहा है. पीड़ितों ने डीएम से मांग की है कि या तो उनलोगों को रविंद्र भवन के पास रहने का आदेश दिया जाय अन्यथा अन्यत्र कहीं पर राहत शिविर की व्यवस्था की जाय.

पीड़ितों ने बताया, 24 घंटे से भूखे हैं कई लोग

बाढ़ पीड़ित मसूदन महतो, पप्पू कुमार, राजेश कुमार, प्रहलाद कुमार, मांगो महतो, रतन कुमार, हीरो कुमार, जितेंद्र महतो, सूखो महतो आदि ने बताया कि घर डूब जाने के बाद वह लोग रोजमर्रा की चीजों को लेकर शहर की ओर आये हैं. लेकिन यहां पर रहने का कोई ठिकाना नहीं है. इस कारण कई ऐसे लोग हैं जो 24 घंटे से भूखे हैं. पीड़ितों ने बताया कि उनलोगों के साथ बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे हैं, जिन्हें अत्यधिक परेशानी हो रही है. इसलिए तत्काल उनके रहने और खाने की व्यवस्था की जाय. एडीएम महेश्वर प्रसाद ने बाढ़ पीड़ितों की सुध लेकर उन्हें सकारात्मक आश्वासन दिया है.

बाढ़ के कारण नहीं कर सका पिता का श्राद्ध कर्म

बिंदटोली निवासी गोपाल महतो के पिता गंगा महतो का निधन आठ दिन पहले हो गया था. गांव में बाढ़ आ जाने के कारण उनका पूरा परिवार गांव से पलायन कर गया. गोपाल कहते हैं कि पिता की मृत्यु के बाद गांव में ही श्राद्ध कर्म करने की इच्छा थी. लेकिन पूरा गांव जलमग्न हो गया. जिसके कारण उनलोगों को पलायन करना पड़ा. अब यहां आसानी से उनलोगों को कहीं पर रहने भी नहीं दिखा जा रहा है. जिससे वे पिता के श्राद्ध कर्म का दैनिक कार्य भी नहीं कर पा रहे हैं.

भदिया देवी को कुछ नहीं सूझ रहा कहां पर चूल्हा लगायें

मदिया देवी अपने माथे पर चूल्हा लेकर सुरक्षित ठिकाने की तलाश में है. भदिया देवी ने बताया कि टिल्हा कोठी गये लेकिन वहां से उनलोगों को भगा दिया गया. सुबह जब घर से निकली थी तो सोचा था टिल्हा कोठी में खाना बनायेगी और बच्चों को खिलायेगी, लेकिन वहां रहने ही नहीं दिया गया. रात में भी उनके बच्चों ने चूड़ा और नमक खा कर पेट भरा था. जब खाना नहीं बना तो सुबह में सत्तू खिला कर वह सुरक्षित ठिकाने की तलाश में हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version