परिवार नियोजन की सबडर्मल इम्प्लांट विधि क्या है? भागलपुर में महिला डॉक्टरों को दी गई जानकारी

भागलपुर में परिवार नियोजन कार्यक्रम विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में जेएलएनएमसीएच व सदर अस्पताल की चिकित्सक हुईं शामिल

By Anand Shekhar | June 12, 2024 8:48 PM

भागलपुर. परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत सबडर्मल इम्प्लांट गर्भ निरोधक विधि विषय पर बुधवार को उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में सदर अस्पताल व जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के स्त्रीरोग व प्रसव विभाग के 30 चिकित्सकों ने भागीदारी की. जिला स्वास्थ्य समिति भागलपुर एवं पीएसआइ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम हुआ. सबडर्मल इम्प्लांट विधि की नेशनल मास्टर ट्रेनर व पीएमसीएच की डॉ रानू सिंह ने चिकित्सकों को नयी गर्भ निरोधक विधि की विस्तार से जानकारी दी.

कार्यक्रम का उद्घाटन एसीएमओ डॉ मनोज कुमार चौधरी, डॉ रानू सिंह, जेएलएनएमसीएच की गायनी विभाग की एचओडी डॉ अनुपमा सिन्हा, डीपीएम मणिभूषण झा, जिला गुणवत्ता सलाहकार डॉ प्रशांत, पीएसआइ के स्टेट हेड मनीष सक्सेना, पीएसआइ के भागलपुर हेड नवीन राय ने दीप जलाकर किया.

वक्ताओं ने कहा कि सबडर्मल इम्पलांट प्रत्यारोपण की सुविधा बिहार के दो जिले पटना एवं भागलपुर में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया है. अब तक सदर अस्पताल में 222 व जेएलएनएमसीएच में 178 महिलाओं को माचिस की तीली के साइज के डिवाइस को बांह में इंप्लांट किया गया है. इस डिवाइस से निकलने वाले हार्मोन से महिलाओं के गर्भाशय में ऑव्यूलेशन तीन साल तक बंद रहता है. इस दौरान महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती हैं. कार्यक्रम के दौरान स्क्रीन पर प्रजेंटेशन देकर सबडर्मल इम्प्लांट डिवाइस को प्रत्यारोपित करना सिखाया गया.

सितंबर 2023 से शुरू हुई सबडर्मल इम्प्लांट विधि

कार्यशाला में एसीएमओ डॉ मनोज चौधरी ने कहा कि सबडर्मल इम्प्लांट की शुरुआत भागलपुर में सितंबर 2023 में हुई थी. नेशनल मास्टर ट्रेनर डॉ रानू सिंह ने कहा कि इस विधि को अपनाने के लिए लाभार्थियों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है. नाइजीरिया व नेपाल समेत दुनिया के अन्य देशों में यह विधि अपनायी जा रही है. भारत के राष्ट्रीय जनरल की रिपोर्ट के अनुसार गर्भावस्था के बाद लोगों को परिवार नियोजन और गर्भनिरोधक उपाय की जरूरत होती है. 2023 में सबडर्मल इम्प्लांट को राष्ट्रीय कार्यक्रम से जोड़ा गया.

पीएसआइ के मनीष सक्सेना ने 1952 से 2023 तक के परिवार नियोजन विधि के सफर की चर्चा की. उन्होंने बताया कि जेएलएनएमसीएच व सदर अस्पताल में पदस्थापित 19 चिकित्सकों को इम्प्लांट विधि सिखायी जा रही है. मौके पर जिला स्वास्थ्य समिति के डीसीएम भरत कुमार सिंह, जिला योजना समन्वयक सन्नी कुमार व आयज अशर्फी समेत अन्य स्वास्थ्य कर्मी थे.

क्या है सबडर्मल इम्प्लांट

सबडर्मल इम्प्लांट एक बॉडी मॉडिफिकेशन है जिसे त्वचा के नीचे रखा जाता है, जिससे शरीर को इम्प्लांट के ऊपर ठीक होने और एक उभरी हुई डिजाइन बनाने की अनुमति मिलती है. इस तरह के इम्प्लांट बॉडी मॉडिफिकेशन की व्यापक श्रेणी में आते हैं. कई सबडर्मल इम्प्लांट सिलिकॉन से बने होते हैं या तो नक्काशीदार या मोल्ड इंजेक्ट किए जाते हैं.

कई लोग जिनके पास सबडर्मल इम्प्लांट हैं, वे उन्हें वांछित, नाटकीय प्रभाव बनाने के लिए अन्य प्रकार के बॉडी मॉडिफिकेशन के साथ संयोजन में उपयोग करते हैं. इस प्रक्रिया को 3-डी इम्प्लांट या पॉकेटिंग के रूप में भी जाना जाता है.

1994 में प्रत्यारोपित हुआ था पहला सबडर्मल इम्प्लांट

पहला सबडर्मल इम्प्लांट 1994 में प्रत्यारोपित किया गया था. आमतौर पर यह माना जाता है कि स्टीव हावर्थ ने इसका बीड़ा उठाया था. फीनिक्स, एरिज़ोना में अपनी दुकान, एचटीसी बॉडी पियर्सिंग में, उन्होंने एक ब्रेसलेट मांगे जाने के बाद पहली बार ये प्रक्रिया शुरू की थी. वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि वह महिला की कलाई के नीचे मोतियों की एक पंक्ति डालकर वह प्रभाव पैदा कर सकते हैं जो वह चाहती है.

इसके बाद 1998 में वैज्ञानिक केविन वारविक ने आरएफआईडी और इलेक्ट्रोड ऐरे इम्प्लांट दोनों के साथ प्रयोग किया. तब से, कई अलग-अलग कलाकारों ने कई तरह के इम्प्लांट किए हैं. उद्योग के कुछ जाने-माने नामों में सम्पा वॉन साइबोर्ग, मैक्स याम्पोलस्की, ब्रायन डेकर, एमिलियो गोंजालेस और स्टेलार्क शामिल हैं, जिन्होंने अपनी बांह पर सेल-कल्टीवेटेड कान प्रत्यारोपित किया था.

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