डॉ एलके सहाय का निधन, आज होगा अंतिम संस्कार
डॉ एलके सहाय का निधन, आज होगा अंतिम संस्कार
भागलपुर: शहर के नामचीन डॉक्टर एलके सहाय का देहांत 83 साल की उम्र में सोमवार को हो गया. मंगलवार को इनका अंतिम संस्कार बरारी श्मशान घाट में जायेगा. देहांत की खबर सुनते ही इनके मुंदीचक स्थित मकान में लोग पहुंचे व शोक व्यक्त किया. युवा अवस्था से ये आरएसएस से जुड़े थे. पिता ने पैरवी से किया इंकार तो खुद से किया प्रयास झारखंड के गिरीडीह में जन्म के बाद यहीं इनकी प्रारंभिक शिक्षा हुई. आगे की शिक्षा के लिए ये रांची चले गये. यहां सैट जैवियर्स कॉलेज में पढ़ाई की.
डॉक्टरी पढ़ने का मन होने के बाद इन्होंने अपने पिता से नामांकन के लिए पैरवी का आग्रह किया. पिता ने नकार दिया. जिसके बाद इन्होंने मेहनत कराना आरंभ किया. एमबीबीएस में दाखिला के बाद हर सेमेस्टर में ये अव्वल आते चले गये. पढ़ाई पूरी होने के बाद पटना में इनका प्रेसिडेसियल अवार्ड भी मिला. बाबा आमटे के साथ किया कुष्ट पर काम कुष्ट रोग को लेकर जागृति फैलाने वाले बाबा आमटे के साथ इन्होंने करीब एक साल तक काम किया. हर मरीज के पास जाकर उनका इलाज कराना उनके परिवार के साथ साथ समाज को जागृत करने का काम ये करते रहे. इन्होंने ईएनटी की शिक्षा आगे करने की सोचा. इसके लिए ये पटना आये.
इनके पुत्र आइएफएस अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि इनकी पहली नियुक्ति तारापुर में हुई. भागलपुर ये 1974 में आये. जिसके बाद यह शहर उनकी कर्मभूमि बन गयी. आदिवासी के लिए भी किया कामसंजय कुमार ने बताया कि डॉ सहाय आदिवासी के लिए बेहतरीन कार्य करने में लग गये. जब इनकी सरकारी नौकरी हो गयी तो संघ के कार्यक्रम में जाना बंद कर दिया. हालांकि मोहन भागवत समेत अन्य संघ के वरीय अधिकारी इनके घर में ही रुकते थे. आज होगा बरारी में अंतिम संस्कार संजय कुमार ने बताया कि इनका पोता अंडमान में सहायक कंमाडेंट है. ये सोमवार रात घर आ जायेंगे. इसके बाद मंगलवार सुबह साढ़े दस बजे इनका अंतिम संस्कार किया जायेगा.
डॉ सहाय के देहांत पर आइएमए ने गहरी संवेदना व्यक्त किया है. प्रवक्ता डॉ संजय निराला ने कहा कि संगठन के अध्यक्ष पद पर इन्होंने अपना योगदान 1989 में दिया था. डॉ हेमशंकर शर्मा ने कहा कि डॉ सहाय हमारे गुरु थे. लंबे समय से थे बीमार डॉ सहाय लंबे समय से बीमार थे. इनके पुत्र संजय कुमार ने बताया कि भोपाल में इनको लेकर हमलोग गये थे. दो साल हमारे साथ थे. लेकिन ये भागलपुर में ही रहना चाहते थे. इनको किडनी संबंधी परेशानी थी. मायागंज अस्पताल ले जाया गया. जहां इनको सोमवार को ही बुलाया गया था. लेकिन इन्होंने रात में ही अंतिम सांस ली.