छठ की कृपा से लगी बेटे की नौकरी, तो कई के घर में आयी समृद्धि
किसी भी क्षेत्र की संस्कृति वहां की भाषा, कला व पर्व-त्योहार से प्रतीत होता है. अंग व बंग की संस्कृति का संगम शहर में रहने वाले बंगाली, पंजाबी व मारवाड़ी समुदाय के लोगों द्वारा महापर्व छठ में भी दिखता है.
किसी भी क्षेत्र की संस्कृति वहां की भाषा, कला व पर्व-त्योहार से प्रतीत होता है. अंग व बंग की संस्कृति का संगम शहर में रहने वाले बंगाली, पंजाबी व मारवाड़ी समुदाय के लोगों द्वारा महापर्व छठ में भी दिखता है. वे लोग केवल इस पर्व में शामिल ही नहीं होते, बल्कि सूप व चढ़ावा चढ़ा कर भगवान सूर्य को अर्घ देते हैं और बिहारी समाज की सेवा में तत्पर रहते हैं. छठ मैया की कृपा से किसी के बेटे की नौकरी लग गयी, तो कई के घर में समृद्धि बनी हुई है.
छठ मैया की कृपा से पति-पत्नी के बीच है सामंजस्यसराय निवासी डॉ स्वीटी व अरुण पोद्दार मां के अस्वस्थ रहने के बाद छठ कर रहे हैं. उनके यहां 60 वर्षों से छठ हो रहा है. दीपावली से छठ तक लहसुन, प्याज तक का सेवन नहीं करते हैं. बेटी निधि व शगुन भी छठ को लेकर उत्साहित हैं. छठ मैया की कृपा से बीआरपी कॉलेज समस्तीपुर में शिक्षक के रूप में ज्वाइन की. मां की कृपा से नौकरी लगी. नौकरी व व्यापार सबकुछ ठीक है.
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छठ की कृपा से शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ रही आगे
सिकंदरपुर पानी टंकी पटेल नगर निवासी डायट की व्याख्याता पूजा सिंह छठ को लेकर उत्साहित हैं. उनका कहना है कि शिक्षा क्षेत्र में आगे बढ़ने के पीछे छठ की कृपा है. पहले जिला स्कूल में शिक्षक बनीं और अब डायट में व्याख्याता. भारत ही एक ऐसा देश है जहां उगते और डूबते हुए सूर्य की पूजा की जाती है. पर्व की तैयारी दीपावली से ही शुरू हो जाती है. इस बार भी भगवान सूर्य को अर्घ दूंगी.
समाजसेवा व धार्मिक कार्यक्रमों में रहते हैं आगे
मारवाड़ी युवा मंच के पदाधिकारी मनोज चुड़ीवाला 1991 से लगातार छठव्रतियों की सेवा में तत्पर हैं. उनकी पत्नी करुणा चुड़ीवाला भी छठ करती हैं. उनके दादा शुभकरण चुड़ीवाला भागलपुर व प्रदेश स्तर पर स्वतंत्रतासेनानी थे. छठ की कृपा है कि सभी समाज के लोगों के बीच सामंजस्य है. जितनी राणी सती दादी जी के प्रति आस्था है, उतनी ही छठ माता के प्रति भी और भगवान सूर्य के प्रति भी.
छठ महापर्व से समानता व एकता की सीख मिली
वरिष्ठ आयकर अधिवक्ता डॉ रतन संथालिया धर्मपत्नी सुनीता संथालिया, पुत्र नितेश संथालिया समेत परिवार के अन्य सदस्यों के साथ बूढ़ानाथ गंगा तट पर अर्घ देते हैं. उनका मानना है कि छठ सूर्य की आराधना का पर्व है, जो प्रकृति पूजा को बढ़ावा देता है. सूर्य पूरी दुनिया को रोशनी प्रदान करता है. सूर्य कोई भेदभाव नहीं करते. उनके घर में दादा-दादी के समय से ही छठ हो रहा है. दोनों बेटा को छठ की कृपा से मिली नौकरीजोगसर निवासी व्यवसायी मुन्ना महतो छठ को लेकर काफी उत्साहित हैं. उनका मानना है कि वर्ष में एक बार परिवार के सभी सदस्यों से मिलने का मौका इसी पर्व के दौरान मिलता है. छठ पर्व सभी पर्वों से उच्च स्तर का माना गया है. छठ माता का ही प्रताप है कि दोनों बेटे की नौकरी लग गयी. पहले मां करती थी और अब पत्नी आशा देवी सास के साथ मिलकर छठ व्रत करती हैं.
छठ की कृपा से बेटी बैंकर और दो पुत्र बने इंजीनियर इशाकचक निवासी कल्पना चौधरी 20 वर्षों से छठ कर रही हैं. घर पर ही तालाब बना कर छठ करती हैं. छठ मैया की कृपा से उनकी बेटी बैंक में और दोनों बेटे इंजीनियर हैं. जब तक सामर्थ्य है छठ करती रहेगी. मैया की कृपा हमारे परिवार पर है. छठ में खुद भी अर्घ देती है और अन्य परिवार के सदस्यों को भी प्रेरित करती हैं. उनके साथ श्वेता चौधरी छह वर्षों से छठ महापर्व कर रही है.सुख-समृद्धि की कामना के लिए करते हैं छठ
बंगाली समाज से आने वाले महाशय ड्योढ़ी बंगाली टोला निवासी शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त कालीदास चक्रवर्ती पिछले 30 साल से छठ महापर्व में अर्घ देते हैं. उनके यहां से दूसरे को सूप व चढ़ावा प्रदान कर छठ पर्व कराया जाता है. उन्होंने बताया कि उनके पूर्वजों ने भागलपुर में वर्षों पूर्व ही छठ पूजा शुरू कर दी थी. हमलोग सुख-समृद्धि की कामना के लिए छठ पर्व करते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है