Durga Puja 2020: कोरोना संकट में 70 साल बाद प्रतिमा बनाने पर संशय के बीच रंगों से उकेरी मां दुर्गा की जीवंत तस्वीर
Durga Puja 2020 भागलपुर जिला स्थित नाथनगर के प्रखंड कॉलोनी में अनुसूचित जाति टोला के लोगों द्वारा कोरोनाकाल में इस साल दुर्गा पूजा 2020 बेहद दिलचस्प तरीके से मनाया जा रहा है. यहां लोगों ने लगभग 70 सालों से परंपरागत तरीके से हो रहे मुर्ति पूजा की कमी नहीं खलने के लिए विकल्प तैयार किया है. इस बार स्थानीय लोगों ने पेंटिंग से मां दुर्गा का जीवंत तस्वीर तैयार कराया है, जिसकी काफी चर्चा हो रही है.
मिहिर,भागलपुर :जिला स्थित नाथनगर के प्रखंड कॉलोनी में अनुसूचित जाति टोला के लोगों द्वारा कोरोनाकाल में इस साल दुर्गा पूजा 2020 बेहद दिलचस्प तरीके से मनाया जा रहा है. यहां लोगों ने लगभग 70 सालों से परंपरागत तरीके से हो रहे मुर्ति पूजा की कमी नहीं खलने के लिए विकल्प तैयार किया है. इस बार स्थानीय लोगों ने पेंटिंग से मां दुर्गा का जीवंत तस्वीर तैयार कराया है, जिसकी काफी चर्चा हो रही है.
सत्तर साल पहले यहां लोगों को मिला था मां का पिंड
प्रखंड कॉलोनी के अनुसूचित जाति टोला का दुर्गा मंदिर काफी प्रचलित है. जिसे पूर्वी बिहार का द्वार भी कहा जाता है. मंदिर के अध्यक्ष रन्नू दास बताते हैं कि करीब सत्तर साल पहले यहां लोगों को एक पिंड दिखाई दिया था. जो वहां से काफी दिनों बाद भी नहीं हटा. जिसके बाद लोगों ने यहां मंदिर बनाने का फैसला किया और स्थानीय लोगों की मदद से यहां मंदिर तैयार किया गया. जिसमें हर साल नवरात्रा के दौरान मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है.
कोरोना संक्रमण को देखते हुए दुर्गा पूजा काफी सादगी के साथ मनाने का निर्देश
इस साल कोरोना संक्रमण को देखते हुए दुर्गा पूजा काफी सादगी के साथ मनाने का निर्देश जिला प्रशासन के तरफ से मिला है. जिसके बाद मंदिर समिति के सदस्यों में मुर्ति स्थापना को लेकर संशय की स्थिति थी. लोगों में इस बात की चर्चा हुई की कलश स्थापना व दैनिक पूजन तो होगा ही पर मूर्ति की कमी को कैसे दूर किया जाए. जिसके बाद यहां पेंटिंग के जरिए मां दुर्गा की तस्वीर तैयार करने का फैसला लिया गया.
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स्थानीय कलाकार ने मामूली खर्च में किया तैयार
इस काम को आसान बनाया यहां के स्थानीय कलाकार ‘शिकारी’ ने, जो पेंटिंग के जरिए छवि तैयार करते हैं. उन्होंने इस काम के लिए अपना सहयोग देने का फैसला किया और जिस पेंटिंग को तैयार करने का चार्ज करीब 30 हजार है, उसे उन्होंने केवल 3500 रूपए में ही तैयार करा दिया. कलाकार शिकारी ने प्रभात खबर को बताया कि जब पूरी पेंटिंग बनकर तैयार हो जाएगी, तो देखने में यह बिल्कुल मूर्ति के तरह ही लगेगा और भक्तों को मूर्ति की कमी नहीं खलेगी.
लक्ष्मी,गणेश, कार्तिक व अन्य देवताओं की भी बन रही है आकृति
मंदिर के सचिव रन्नू दास व निदेशक जय प्रकाश दास भी कहते हैं कि हमने कोरोनाकाल में प्रशासन के आदेश का पालन करते हुए परंपरा को जिंदा रखने का प्रयास किया है. यहां मां दूर्गा के साथ लक्ष्मी,गणेश, कार्तिक व अन्य देवताओं की भी आकृति बन रही है, जो मूर्ति के रूप में दुर्गा पूजा के समय बनाया जाता है.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya