प्रभात खबर खास
जिले में मंगलवार सुबह साढ़े छह बजे भूकंप के हल्के झटके महसूस किये गये. हालांकि, कंपन का अहसास बहुत कम लोगों को हुआ. क्योंकि तब अधिकांश लोग रजायी में दुबके थे. भूकंप का केंद्र भागलपुर से करीब 800 किलोमीटर दूर नेपाल-चीन सीमा के निकट तिब्बत में था. केंद्र पर भूकंप की तीव्रता 7.1 थी. केंद्र से दूरी की वजह से भागलपुर समेत आसपास के जिलों में भूकंप की तीव्रता करीब दो से भी कम रही.
टीएमबीयू के पीजी भूगोल विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ एसएन पांडेय बताते हैं कि भागलपुर भूकंपरोधी शहर है. यहां सात या आठ तीव्रता से ही नुकसान की संभावना है. शहर कठोर अल्केलाइन चट्टान पर बसा है. लाखों वर्षों तक क्षारीय मिट्टी के जमाव के कारण नगर निगम क्षेत्र एक टीलानुमा आकार में आ गया. इस टीले को न गंगा काट पायी न ही दक्षिण से बांका होकर आ रही चानन नदी. शहर के आधार में मजबूती के कारण यह इलाका भूकंपरोधी क्षेत्र बन गया है.सोशल मीडिया पर भूकंप की खूब चर्चा : जिन लोगों को झटके महसूस हुए, वह अपने परिवार के सदस्यों के साथ घर से बाहर निकल आये. वहीं सोशल मीडिया पर भूकंप की जानकारी देने लगे. सुबह नौ बजे तक घरों में भूकंप को लेकर खूच चर्चा चली. इधर, मायागंज अस्पताल में कार्यरत कर्मियों ने बताया कि मुझे झटके महसूस भी नहीं हुए. जबकि 2015 में आये लगातार चार भूकंप के दौरान लगता था कि अस्पताल झूल रहा है. कई मरीज भागकर बाहर आ गये थे.
धरती के अंदर प्लेट के टकराने से भूकंप : भूगोलविद डॉ एसएस पांडेय ने बताया कि धरती के अंदर कई टेक्टोनिक प्लेट खिसकते रहती है. इनके टकराने से जोरदार कंपन होता है और धरती कांपने लगती है. तिब्बत प्लेट व इंडियन प्लेट के टकराने से ही हिमालय क्षेत्र उभरा है. यह प्रक्रिया हर समय जारी रहती है. प्लेट के टकराने से लगातार भूकंप आती है.
90 साल पहले जनवरी में ही आया था विनाशकारी भूकंप : 90 वर्ष पहले 1934 में 15 जनवरी को भागलपुर समेत पूरे बिहार में आठ की तीव्रता से विनाशकारी भूकंप आया था. इससे भागलपुर में काफी नुकसान हुआ था. जबकि मुंगेर शहर पूरी तरह ढह गया था. उस भूकंप की चर्चा आज भी होती है.
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