झारखंड से लेकर बिहार तक चला गिट्टी ढुलाई का अवैध खेल, बिना माइनिंग चालान के ही राज्यों में भेजा गया

झारखंड से लेकर बिहार तक चला गिट्टी ढुलाई का अवैध खेल, बिना माइनिंग चालान के ही राज्यों में भेजा गया

By ThakurShaktilochan Sandilya | October 27, 2024 10:34 AM

Bihar News: झारखंड के साहिबगंज से लेकर बिहार के भागलपुर में पीरपैंती तक गिट्टी की अवैध ढुलाई में बार-बार एक कंपनी सीटीएस का नाम आता रहा है. यही वजह है कि सीटीएस कंपनी गंभीर रूप से ईडी की जांच के दायरे में है. इस कंपनी को झारखंड के शीर्ष राजनेताओं की कृपा और संरक्षण प्राप्त रहा है. बता दें कि झारखंड में ईडी 1000 करोड़ के गिट्टी घोटाला की जो जांच कर रही है उसमें सीटीएस कंपनी की ओर स्टोन चिप्स की अवैध ढुलाई का मामला भी शामिल है. इस मामले में ही पिछले साल ईडी पंकज मिश्रा पर हुए चार्जशीट के आधार पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पूछताछ के लिए बुला रही थी.

कंपनियों और रेल अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ खेल

मेसर्स सीटीएस ने भागलपुर के पीरपैंती रेलवे साइडिंग से बिना माइनिंग चालान के ही वर्ष 2015-16 से 2022-23 के बीच 256 रेल रैक स्टोन चिप्स दूसरे राज्यों में भेजा. इधर, ईडी के इसीआइआर में आरोप लगाया गया है कि झारखंड, दिल्ली, पंजाब की कंपनियों और रेल अधिकारियों की मिलीभगत से वर्ष 2015 से अवैध खनन और उसकी ढुलाई का काम चल रहा है. ऐसा रेलवे द्वारा जारी आदेश का उल्लंघन कर अधिकारियों द्वारा निजी लाभ के लिए किया जा रहा है. इस्टर्न रेलवे ने वर्ष 2009 में एक आदेश जारी कर वैध दस्तावेज के बगैर किसी भी तरह के खनिजों की ढुलाई पर प्रतिबंध लगाया था. 2015 से 2019 के बीच हर साल रेलवे रैक से अवैध ढुलाई हुई है. कंपनी सीटीएस इंडस्ट्री ने यह अवैध ढुलाई की है.

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सीएम हेमंत सोरेन की भी बढ़ी मुश्किल…

यह ढुलाई 2015-16 से 2019-20 के बीच 233 रैक से हुई. 2015-16 में 16 रैक, 2016-17 में 1 रैक, 2017-18 में 31 रैक, 2018-19 में 117 रैक, 2019-20 में 68 रैक. इस घोटाला में सरकारी खजाना को 100 करोड़ रुपये से अधिक की चपत लगी है. 2015-16 से लेकर 2017-18 तक रेलवे रैक से अवैध गिट्टी ढुलाई झारखंड के एक राजनेता के मनोनुकूल नहीं हुई तो साहेबगंज के जिला खान पदाधिकारी को बदल दिया गया. उस अवधि में गिट्टी के अवैध खनन और अवैध परिवहन में भारी उछाल आया. यहां बता दें कि झारखंड में ईडी 1000 करोड़ के गिट्टी घोटाला (2020-21 और 2021-22 के बीच) की जांच कर रही है. इसमें ईडी पंकज मिश्रा पर हुए चार्जशीट के आधार पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पूछताछ के लिए बुला रही थी.

दूसरे दिन भी साहिबगंज में सीटीएस माइंस की करायी मापी

इडी की टीम दूसरे दिन शुक्रवार को भी साहिबगंज में सीटीएस प्लांटों की जांच की. इडी की चार सदस्यीय टीम पांच वाहनों से शुक्रवार की सुबह जिरवाबाड़ी थाना क्षेत्र अंतर्गत मारीकुटि स्थित सीटीएस माइंस पहुंची. टीम ने अमीन से माइंस की मापी की प्रक्रिया शुरू करायी. मापी प्रक्रिया करीब शाम चार बजे तक चली. इस दौरान इडी के अधिकारियों ने माइंस एरिया की मापी कराते हुए सीमांकन की भी जांच की. शाम पांच बजे तक इडी की टीम माइंस से निकली और मिर्जाचौकी की तरफ चली गयी. मिर्जाचौकी थाना क्षेत्र स्थित छोटा दामिनीभिठा पहाड़ स्थित सीटीएस कंपनी का निरीक्षण किया. इसके बाद झारखंड-बिहार स्थित मिर्जाचौकी चेकनाका का भी निरीक्षण किया.

दाहू यादव की तलाश

अवैध खनन व मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दाहू यादव की तलाश में गुरुवार की सुबह करीब आठ बजे इडी की चार सदस्यीय टीम शोभनपुरभट्टा दाहू के गांव पहुंची थी. वहां कुछ लोगों से दाहू यादव के बारे में पूछताछ की थी. इसके बाद टीम लौट गयी थी. करीब तीन बजे टीम महादेवगंज स्थित सीटीएस प्लांट पहुंची थी.

खाते में जमा 5.30 करोड़ रुपये को बताया था कर्ज

ईडी के शपथ पत्र में कहा गया है कि जांच में इस बात की जानकारी मिली कि प्रेम प्रकाश पहले मिड-डे-मील में अंडा सप्लाई करता था. कुछ वर्षों में ही वह पावर ब्रोकर और नेताओं व नौकरशाहों का फंड मैनेजर बन गया. उसने अवैध खनन से होनेवाली काली कमाई को उजला करने के लिए मनी लाउंड्रिंग की. जांच में पाया गया कि वर्ष 2017 में उसकी कंपनी मेसर्स हरबल सॉल्यूशन के पंजाब नेशनल बैंक स्थित खाते (21881132000179) में 5.30 करोड़ रुपये जमा हुए थे. इस कंपनी के खाते से 5.65 करोड़ रुपये मेसर्स लक्ष्मी ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी के खाते में ट्रांसफर किये गये थे. लक्ष्मी ग्लोबल नामक कंपनी कोलकाता के पते पर निबंधित है. इस लेन-देन के सिलसिले में पूछताछ के दौरान प्रेम प्रकाश ने यह कहा था कि उसके खाते में जमा 5.30 करोड़ रुपये उसे उसके मित्र संजय चौधरी से कर्ज के रूप में मिले थे. हालांकि वह कर्ज से संबंधित कोई एकरारनामा नहीं पेश कर सका.

बिना माइनिंग चालान के ही स्टोन चिप्स दूसरे राज्यों में भेजा

जांच में पाया गया कि वर्ष 2001 से संजय चौधरी ने मेसर्स लक्ष्मी ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशक के रूप में काम किया. 2012 में संजय चौधरी का बेटा अमृत चौधरी इस कंपनी का निदेशक बना. संजय चौधरी कोलकाता की कंपनी मेसर्स सीटीएस इंडस्ट्रीज का निदेशक है. इस कंपनी में संजय के अलावा अशोक तुलस्यान और पुरुषोत्तम तुलस्यान भी निदेशक हैं. मेसर्स सीटीएस ने पीरपैंती रेलवे साइडिंग से बिना माइनिंग चालान के ही वर्ष 2015-16 से 2022-23 के बीच 256 रेल रैक स्टोन चिप्स दूसरे राज्यों में भेजा.

दूसरी कंपनियों के सहारे भी फंड मैनेज किया

प्रेम प्रकाश के लिए दूसरी कंपनियों के सहारे भी फंड मैनेज किया गया. इसमें मेसर्स मल्टीप्लायर इंटरप्राइजेज, मेसर्स अलखनंदा स्पंज आयरन सहित अन्य कंपनियां शामिल हैं. प्रेम प्रकाश की कंपनी से अगस्त 2020 से जनवरी 2021 तक की अवधि में अमित अग्रवाल की कंपनी मेसर्स अरोरा स्टूडियो के खाते में 5.31 करोड़ रुपये ट्रांसफर किये गये हैं. जांच में पाया गया कि प्रेम प्रकाश की कंपनी के खाते में 2017 से दिसंबर 2021 तक की अवधि में 5.65 करोड़ रुपये नकद जमा हुए थे. पूछताछ में उसने इसमें से पांच करोड़ रुपये शराब के व्यापार में मुनाफे के तौर पर मिला हिस्सा बताया था. हालांकि वह शराब के व्यापार में सहयोगियों के बीच मुनाफे की हिस्सेदारी से संबंधित कोई एकरारनामा पेश नहीं कर सका.

सीए के ठिकानों से 16 बैक डेटेड ब्लैंक स्टांप पेपर मिले थे

ईडी के शपथ पत्र में कहा गया है कि सीए जयशंकर जयपुरियार के ठिकानों से छापेमारी में 16 बैक डेटेड ब्लैंक स्टांप पेपर मिले थे. इसे वर्ष 2021 में खरीदा गया था. पूछताछ में प्रेम प्रकाश ने व्यापारिक सहयोगियों के साथ एकरारनामा करने के लिए स्टांप पेपर खरीदने की बात स्वीकारी थी. हालांकि वह इसे खाली पड़े रहने के कारणों का जवाब नहीं दे सका. इससे ईडी ने यह माना है कि अवैध खनन की काली कमाई को व्यापारिक एकरारनामा के सहारे वैध कमाई साबित करने के उद्देश्य से स्टांप पेपर खरीदे गये थे.

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