TMBU में ‘इमर्जिंग ट्रेंड इन बायोसाइंस’ पर सेमिनार, जानें विशेषज्ञों ने क्या दी जानकारी

TMBU: भागलपुर के तिलकामांझी विश्वविद्यालय के पीजी जूलॉजी विभाग में "इमर्जिंग ट्रेंड इन बायोसाइंस" पर सेमिनार आयोजित हुआ. विशेषज्ञों ने पर्यावरणीय चिंताओं, डीएनए बारकोडिंग और प्लास्टिक प्रदूषण जैसे मुद्दों पर विचार साझा किए. छात्रों ने पोस्टर प्रतियोगिता में भी भाग लिया.

By Anshuman Parashar | January 28, 2025 10:49 PM

TMBU के पीजी जूलॉजी विभाग में मंगलवार को एक महत्वपूर्ण सेमिनार का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का विषय “इमर्जिंग ट्रेंड इन बायोसाइंस एंड एंवायरनमेंटल कन्सर्न” रखा गया था। सेमिनार का उद्घाटन रजिस्ट्रार प्रो. रामाशीष पूर्वे, विभागाध्यक्ष डॉ. धर्मशिला कुमारी, डीन प्रो. जगधर मंडल, प्रो. इकबाल अहमद, डॉ. डीएन चौधरी और डॉ. नवोदिता प्रियदर्शिनी ने संयुक्त रूप से किया।

विशेषज्ञों ने साझा किए विचार

सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. पीके वर्मा ने अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने संथाल परगना के आदिवासियों की जीवनशैली और उनके पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं को पीपीटी के माध्यम से प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि पारंपरिक जीवनशैली और पर्यावरण के बीच तालमेल कैसे आदिवासियों की जीवनशैली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

विभाग के वरिष्ठ शिक्षक प्रो. इकबाल अहमद ने डीएनए आधारित बारकोडिंग की अवधारणा पर प्रकाश डाला। उन्होंने समझाया कि किस प्रकार डीएनए बारकोडिंग के माध्यम से चीजों की सटीक पहचान की जा सकती है। साथ ही, उन्होंने बढ़ते प्रदूषण के कारण पर्यावरणीय समस्याओं पर चिंता व्यक्त की और सुझाव दिया कि समाज को जागरूकता फैलाकर इसे नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए।

पोस्टर प्रतियोगिता में छात्रों ने दिखाया हुनर

सेमिनार के दौरान एक पोस्टर प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें लगभग 25 छात्रों ने भाग लिया। प्रतियोगिता में अमितेश कुमार ने प्रथम स्थान हासिल किया, जबकि बिन्नी कुमारी को दूसरा और निवेदिता लाल व आनंद कुमार को संयुक्त रूप से तीसरा स्थान प्राप्त हुआ।

इस प्रतियोगिता ने छात्रों को न केवल अपने रचनात्मक कौशल को प्रदर्शित करने का अवसर दिया, बल्कि उन्हें पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति जागरूक भी किया।

प्रदूषण रोकने पर विशेष जोर

डॉ. परिमल खान और डॉ. भूपेंद्र कुमार ने प्लास्टिक प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के खतरों को उजागर करते हुए बताया कि यह समस्या न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि मानव जीवन पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने प्लास्टिक के उपयोग को सीमित करने और स्थायी विकल्प अपनाने की अपील की।

विशेषज्ञों की सराहना

लखनऊ के आईएफएस डॉ. यूएस सिंह और वर्धा के हिंदी विश्वविद्यालय के डॉ. मनोज कुमार ने भी सेमिनार में अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने वर्तमान समय में पर्यावरणीय संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि अगर सही समय पर प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में पर्यावरणीय समस्याएं और गंभीर हो सकती हैं।

सेमिनार का उद्देश्य और उपलब्धियां

यह सेमिनार न केवल छात्रों और शिक्षकों के लिए ज्ञानवर्धक साबित हुआ, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और बायोसाइंस के क्षेत्र में जागरूकता फैलाने का एक मजबूत माध्यम भी बना। विभागाध्यक्ष डॉ. धर्मशिला कुमारी ने कहा कि ऐसे सेमिनार शिक्षण और शोध कार्य को बढ़ावा देते हैं और छात्रों को प्रोत्साहित करते हैं।

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