…आखिर लौट गया सम्राट अशोक भवन का 67. 63 लाख का फंड

नप की उदासीनता से सम्राट अशोक भवन का फंड लौट गया

By Prabhat Khabar News Desk | June 18, 2024 1:41 AM

नप की उदासीनता से सम्राट अशोक भवन का फंड लौट गया. कहलगांव नगर पंचायत में नौ हजार स्क्वायर फीट जमीन पर दो मंजिला बहुउपयोगी भवन का निर्माण होना था. 2017-18 में भवन निर्माण के लिए एक करोड़ 26 लाख की मंजूरी मिलने तथा 2018 में योजना के क्रियान्वयन के कुल फंड की आधी राशि मिलने के बाद भी यह योजना धरातल पर उतर नहीं सकी. छह साल बाद नप को प्राप्त 67.63 लाख रुपये का फंड वापस हो गया. फंड वापस होते ही शहरी क्षेत्र में बनने वाले बहुउपयोगी भवन के निर्माण को लेकर पिछले छह सालों से चल रहे गतिरोध पर विराम लग गया. बड़ी शिद्दत से नगरवासी इस भवन के निर्माण का इंतजार कर रहे थे. सवाल है कि नगर पंचायत के पास मानक के मुताबिक जमीन उपलब्ध नहीं थी, तो आखिर किस आधार पर फंड स्वीकृत हुआ. बिना जमीन की उपलब्धता के विभाग ने योजना की आधी राशि नपं कहलगांव को भेज दी. फंड छह वर्षों तक पड़ी रही. इस बहुउपयोगी भवन के निर्माण को लेकर विधायक पवन यादव ने दो बार सदन में सवाल उठाया था.

आखिर क्यों वापस हुआ फंड2018 में फंड आने के बाद भी नगर पंचायत सुस्त बना रहा. पिछले छह साल में भवन निर्माण के लिए विभाग को नौ हजार स्क्वायर फीट जमीन की एनओसी उपलब्ध नहीं करा पाया. यह राशि जनवरी में विभागीय पत्र मिलने के बाद लौट गयी है. पत्र में स्पष्ट आदेश था कि वित्तीय वर्ष 2003-04 से 2018-19 तक खाते में पड़ी राशि को विभाग को वापस करनी है. आदेश नहीं मानने पर वांछित

पदाधिकारी पर राशि गमन का मामला दर्ज कराया जायेगा.

सरकारी फंड वापस होने व भवन नहीं बनने पर बोले शहरवासी

प्रस्तावित सम्राट अशोक भवन का फंड उपयोग में आये बिना वापस होना कहलगांव नगर पंचायत की निष्क्रियता का परिणाम है. अगर यह भवन बन जाता, तो कहलगांव के लोगों को रियायत दर पर किसी कार्यक्रम के लिए एक सर्वसुलभ स्थान मिल जाता. मैं इस लापरवाही की निंदा करता हूं. भरत रूंगटा, केएनपीजी के संस्थापक.

कहलगांव नगर पंचायत की अकर्मण्यता से प्रस्तावित बहुउपयोगी भवन का फंड सहित न जाने कितनी योजनाओं का फंड उपयोग में आये बिना वापस लौट गया है. इसके उपयोग से शहर का विकास हो सकता था. मैं इस तरह के गैर जिम्मेदार रवैये की निंदा करता हूं.

रितेश सिंह, समाजसेवीयह मामला मेरे आने से पहले की है. मेरे संज्ञान में यह नहीं है.

दिनेश कुमार सिन्हा, कार्यपालक पदाधिकारी, नपं

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