चहल्लुम के मौके पर हजरत हुसैन अलैह सलाम की याद में सोमवार को शिया समुदाय की ओर से असानंदपुर स्थित छोटा इमामबाड़ा व नया बाजार से अलम का जुलूस निकाला गया. मुस्लिम हाई स्कूल के पास मिल कर शाहजंगी स्थित कर्बला मैदान में शाम में पहुंचकर पारंपरिक तरीके से पहलाम किया. अलविदा-अलविदा नौहा खानी पढ़ते हुए पहलाम संपन्न हुआ. अलम का जुलूस को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये थे. पहलाम रूट स्थित चौक-चौराहों पर पुलिस अधिकारी व जवानों की तैनाती की गयी थी. इससे पहले अलम का जुलूस मोहद्दीपुर हबीबपुर स्थित लल्लू मियां इमामबाड़ा पहुंचा. यहां नौहा खानी, जंजीरी व सिर का मातम किया गया. इस दौरान नौहा खानी करने वालों में विक्टर हुसैन, नासिर हुसैन, जावेद नकवी आदि शामिल थे. —————– इमाम हुसैन ने शहादत देकर दीन ए इस्लाम को बचाया जुलूस में मौलाना मंजर अब्बास ने मजलिस पढ़ी. मौके पर उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन ने शहादत देकर दीन-ए-इस्लाम को बचाया. हजरत हुसैन ने अपनी शहादत देकर आलमे दीन व इंसानियत को बचाया है. इंसानियत को जुल्म से आजाद कराया है. उनकी मिसाल रहती दुनिया तक एक नमूना है. मौलाना तासीर हुसैन ने तकरीर में कहा कि इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि कर्बला वालों ने इंसानियत को बचाने के लिए शहादत दी है. हजरत हुसैन ने इस्लाम को बचाने व परचम बुलंद करने के लिए अपनी व अपने रिश्तेदारों की कुर्बानी दी. हजरत इमाम हुसैन व उनके साथियों ने 10 मुहर्रम को अपनी शहादत दी थी. 40 दिन पूरा होने पर चेहल्लुम मनाया जाता है. ———– नम आंखों से लोगों ने पढ़े अलविदाई नौहा जुलूस में शामिल शिया समुदाय के लोगों की आंखें नम थीं. इमाम हुसैन की याद में नौहा पढ़ते हुए चल रहे थे. जुलूस में भागलपुर के अलावा झारखंड, पटना आदि जगहों से आये लोग भी शामिल हुए थे. शिया समुदाय के पहलाम को देखने के लिए मुस्लिम हाइस्कूल समपार से लेकर शाहजंगी मेला मैदान तक लोगों की भीड़ लगी रही. खास कर जंजीरी मातम देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी.
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