धान की रोपनी से पहले की तैयारी में जुटे किसान
जिले के नौ प्रखंडों के धान उत्पादक धान की रोपनी से पहले की तैयारी में जुट चुके हैं. स्थायी सिंचाई साधन वाले स्थानों में तीन प्रतिशत से अधिक तक रोपनी भी हो गयी है.
जिले के नौ प्रखंडों के धान उत्पादक धान की रोपनी से पहले की तैयारी में जुट चुके हैं. स्थायी सिंचाई साधन वाले स्थानों में तीन प्रतिशत से अधिक तक रोपनी भी हो गयी है. कृषि विभाग के अनुसार जिले में अब तक 92 प्रतिशत अर्थात 4263 हेक्टेयर में बिचड़ा लग चुका है. साथ ही कहा कि इसके बावजूद किसान बीजोपचार कर सकते हैं.
कृषि विभाग के तहत पौधा संरक्षण केंद्र की ओर से किसानों के बीच जागरूकता फैलायी जा रही है, ताकि उनके फसल में किसी प्रकार की रोग-व्याधि नहीं फैल सके. पौधा संरक्षण विभाग के सहायक निदेशक सुजीत कुमार पाल ने बताया कि जिले के आठ स्थानों सुल्तानगंज, शाहकुंड, जगदीशपुर, कहलगांव, पीरपैंती, नवगछिया, सबौर व भागलपुर में पौधा संरक्षण केंद्र है. किसानों को धान के बीजोपचार की जानकारी दी जा रही है. उन्होंने बताया कि जिन किसानों ने अब भी बिचड़ा नहीं लगाया हैं, वे क्लोरोपाइरोफॉस छह एमएल प्रति किलो बीज में डालें. इससे पौधे में कीड़े या किसी प्रकार का रोग नहीं लगता है. हालांकि अब अधिकतर स्थानों पर बिचड़ा लग चुका है. ऐसे में बिचड़ा को उखाड़ने के बाद और रोपा करने से पहले धान के पौधे का बीजोपचार किया जाता है.
रोग-व्याधि व चूहे से बचाव को लेकर किसानों को रहना होगा सजगसहायक निदेशक ने बताया कि किसाना बिचड़ा तैयार होने से पहले खेत को तैयार कर लें, ताकि समय पर रोपनी की जा सके. उन्होंने किसानों खेत तैयार करने की विधि भी बतायी. साथ ही बताया कि चूहे के प्रकोप से बचने के लिए खेत के मेड़ को पतला और साफ रखें. जमीन को समतल कर लें. खेत में पानी का जमाव लगभग 5.2 सेमी ही रखें. खेत में पानी का सही स्तर रहने पर फास्फेट, लौह तथा मैग्निशियम आदि तत्वों की उपलब्धता बढ़ जाती है. खरपतवार भी नियंत्रित रहता है. रोपनी से एक सप्ताह बाद तक पानी रखना चाहिए एवं बीच-बीच में यथा संभव खेत को पानी से खाली भी रखें, ताकि कल्ले काफी संख्या में निकल सकें.
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