Bhagalpur news नीलगाय के आतंक से मुक्ति को लेकर किसान वन प्रमंडल पदाधिकारी से मिले
वन प्रमंडल पदाधिकारी स्वेता कुमारी से नीलगाय के आतंक से मुक्ति को लेकर बुधवार को पुन: बिहपुर प्रखंड बभनगामा व अमरपुर के किसानों का प्रतिनिधिमंडल उनके कार्यालय में जाकर मिला

वन प्रमंडल पदाधिकारी स्वेता कुमारी से नीलगाय के आतंक से मुक्ति को लेकर बुधवार को पुन: बिहपुर प्रखंड बभनगामा व अमरपुर के किसानों का प्रतिनिधिमंडल उनके कार्यालय में जाकर मिला. बिहार राज्य किसान सभा के जिला संयोजक निरंजन चौधरी के नेतृत्व में बभनगामा व अमरपुर के किसान राजीव सनगही, मनहर चौधरी, महेश प्रखंड के चौधरी, निवेदन चौधरी, हर्ष चौधरी, रामकृष्ण चौधरी, मुस्ताक आलम व अजय मिश्रा किसानों के प्रतिनिधि मंडल शामिल थे. 10 फरवरी को वन प्रमंडल पदाधिकारी ने बभनगामा पंचायत के मुखिया गुलजार खां व लत्तीपुर उत्तर पंचायत की मुखिया अनीता देवी, प्रतिनिधि विजय यादव से फोन से बात कर कहा कि इस दिशा में सरकार से जो अधिकार आपको दिया गया है. उसका उपयोग कर अगले 15 दिनों के अंदर इस समस्या का समाधान करें. किसानों से कहा गया था कि 15 दिनों में समस्या निदान नहीं होेने पर फसल क्षतिपूर्ति समेत अन्य जरूरी कार्रवाई की जायेगी. किसानों ने कहा कि इसका त्वरित निदान नहीं कराया गया, तो हम किसानों को दाने-दाने के लिए तड़पना पड़ेगा. बुधवार को बताया गया कि खेती का रकवा लगभग 600-700 एकड़ है. एक-एक किसान को दो से तीन बार बुआई करनी पड़ी है. आम, लीची और महोगनी के बड़े पौधे को नष्ट कर दे रहा है. अभी लगभग 80-100 के नीलगायों का झुंड एक साथ फसलों को बर्बाद कर रहे हैं. 60-100 के झुंड में नीलगाय आकर मक्का और गेहूं की फसल बर्बाद कर रहे है. दो-पांच किसानों का झुंड नीलगायों के सामने बिल्कुल बौने हो जाते हैं. हम किसानों को भागना पड़ता है. पदाधिकारी ने इस दिशा में जल्द ही ठोस कार्रवाई करने का भरोसा किसानों को दिया.
गंगा के गर्भ से निकली जमीन पर दखल की आस
सुलतानगंज तिलकपुर मौजा के दियारा की जमीन कटाव के कई साल बाद गंगा से निकली. किसानों का जमीन पर दखल की आस है. तिलकपुर पंचायत के उपमुखिया सत्यम सिंह ने बताया कि सैकड़ो एकड़ जमीन जब गंगा की भेंट चढ़ गयी तो जमीन मालिक भूमिहीन हो गये. रोजी-रोटी पर आफत आ गयी. कुछ दिन बाद जब जमीन गंगा से निकली, तो जीने का एक उम्मीद जगी. जमीन अस्तित्व में आने पर दबंगों का कब्जा हो गया. इसका मुख्य कारण जमीन का मापी और दखल कब्जा कराने का प्रशासन ने काम नहीं किया. जिला प्रशासन से लेकर राज्य सरकार तक के सभी अधिकारी को मापी कराने और दखल कब्जा कराने के लिए सामूहिक रूप से आवेदन दिया गया, लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं की गया. दंबगों से जमीन से हटाने के लिए किसान संघर्ष कर रहे है. कई बार जमीन पर कब्जा को लेकर खूनखराबा हो चुका है. उपमुखिया ने बताया कि मुख्यमंत्री के संज्ञान में इस मामले को कई बार रखा गया है. जमीन का मालिकाना हक को लेकर अब यहां के किसान हाईकोर्ट जायेंगे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है