आठ को सोमवती अमावस्या, नौ को गुड़ी पड़वा, वासंतिक नवरात्र का शुभारंभ व हिंदू नववर्ष होगा. 10 को मुस्लिम समुदाय का ईद उल फितर, 14 अप्रैल को सिख श्रद्धालुओं की बैसाखी व बंगाली समाज का नववर्ष, लोक पर्व विशुआ मनाया जायेगा. इसी दिन चैती छठ का शुभारंभ होगा. 17 को रामनवमी, तो 21 अप्रैल को जैन समुदाय के लिए 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की जयंती होगी. अप्रैल में 12 दिनों तक विविध समुदायों का त्योहार व उत्सव का अंदाज अलग-अलग होगा. पकवान भी अलग-अलग होंगे.
गुड़ी पड़वा पर सर्वार्थ सिद्धि योग, मिलेगा अक्षय फल
पंडित आनंद मिश्रा ने बताया कि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आठ अप्रैल को देर रात 11 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी और नौ अप्रैल को शाम 08 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगी. सनातन धर्म में उदया तिथि मान है. अतः नौ अप्रैल को गुड़ी पड़वा मनाया जायेगा. गुड़ी पड़वा पर एक साथ कई शुभ संयोग बन रहे हैं.वासंतिक नवरात्र का शुभारंभ कल
पंडित अंजनी शर्मा ने बताया कि नौ अप्रैल को चैत्र नवरात्र का शुभारंभ होगा और हिंदू नववर्ष मनाया जायेगा. नवरात्रि सालभर में चार तरह की मनायी जाती है. वासंतिक-चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि और दो बार गुप्त नवरात्रि. नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. पंडित सौरभ मिश्रा ने बताया कि पंचांग के अनुसार, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है. इस साल नौ अप्रैल, मंगलवार से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है और समापन 17 अप्रैल, बुधवार के दिन हो जायेगा. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आठ अप्रैल रात्रि 11 बजकर 55 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन नौ अप्रैल को रात्रि 09 बजकर 44 मिनट पर इसका समापन होगा. इस साल चैत्र नवरात्रि मंगलवार से शुरू हो रही है.चांद के हिसाब से होगा ईद उल फितर
जिला शिया वक्फ कमेटी के सचिव जीजाह हुसैन ने बताया कि इस बार 10 अप्रैल को ईद उल फितर की संभावना है. हालांकि, चांद के हिसाब से 11 को भी हो सकती है. ईद उल-फितर मुस्लिम समुदाय के लोग रमजान उल-मुबारक के एक महीने के बाद एक मजहबी खुशी का त्यौहार मनाते हैं. इसे ईद उल-फित्र कहा जाता है. ईद उल-फित्र इस्लामी कैलेंडर के 10वें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है.
अंग क्षेत्र का लोक पर्व है विशुआ
अंग क्षेत्र का लोक पर्व विशुआ की तैयारी बाजार में शुरू हो चुकी है. विशुआ पर्व में सत्तू गुड़ का भोजन ग्रहण करने के साथ ही अपने दिवंगत पूर्वज के नाम पर मिट्टी के घड़ा में जल भर कर, टिकोला व हाथ का पंखा आदि गरीबों को दान करते हैं. मान्यता है कि यह सीधे पूर्वजों को जायेगा. सामान्य विशुआ व्रती उस दिन सत्तू गुड़ का ही भोजन करते हैं. विशुआ के रात्रि में भोजन बना कर दूसरे दिन बासी भोजन खाने की मान्यता है.सजती है रंगोली, गले मिलते हैं समाज के लोग
शहर के अलग-अलग हिस्सों में बसे बंगाली समाज के लोग 14 अप्रैल को बांग्ला नववर्ष मनायेंगे. बंगाली समाज के लोग एक-दूसरे को शुभ नववर्षों बोल कर नववर्ष की बधाई देते हैं और एक-दूसरे से गले मिलते हैं. उस दिन लोग प्रात: से ही जग कर अपने-अपने घर की सफाई में जुट जाते हैं. महिलाओं द्वारा घर में रंगोली सजायी जाती है. इसे देख कर किसी उत्सव से कम नहीं कहा जा सकता है.