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भागलपुर में सड़कों के निर्माण की गुणवत्ता जांचेगी मुख्यालय के फ्लाइंग स्क्वायड टीम

सड़कों का बनना और खराब होना और फिर से बनने का सिलसिला लंबे समय से चल रहा है लेकिन, यह कितना गुणवत्तापूर्ण बन रहा है, इसकी जांच लंबे समय से नहीं हुई है.

वरीय संवाददाता, भागलपुर

सड़कों का बनना और खराब होना और फिर से बनने का सिलसिला लंबे समय से चल रहा है लेकिन, यह कितना गुणवत्तापूर्ण बन रहा है, इसकी जांच लंबे समय से नहीं हुई है. मुख्यालय में स्थित फ्लाइंग स्क्वायड की टीम भागलपुर जिले के स्टेट हाइवे और मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड की जांच कर सकती है. वह इसकी तैयारी में है. आचार संहिता की समाप्ति के उपरांत टीम के भागलपुर पहुंचने का आसार है. खासतौर पर उन सड़कों की जांच की जा सकती है, जो ओपीआरएससी (सड़क मेंटनेंस पॉलिसी) में शामिल है और पहले पांच सालों के लिए कांट्रैक्टर को दी गयी थी. अभी यह उसी कांट्रैक्टर के पास साल 2026 तक के लिए है. इधर, फ्लाइंड स्क्वायड टीम अगर भागलपुर आयेगी, तो सड़क निर्माण की गुणवत्ता का पोल खुलेगी. दरअसल, आरसीडी की ऐसी कई सड़कें हैं, जिसके निर्माण के बाद ज्यादा दिनों तक नहीं टिक सकी है. सबसे ज्यादा खराब स्थिति वैकल्पिक बाइपास में रेलवे बौंसी लाइन से गुडहट्टा चौक तक की सड़क है. इस सड़क के एवज में आरसीडी से बुडको से काटी गयी सड़क को ठीक करने के नाम पर पैसा तक लिया है. यह तो एक मात्र उदाहरण है. इस तरह की कई सड़कें है जिसका पैसा लेकर सही से दुरुस्त नहीं कराया है.

जानें, आखिरी बार कब हुई थी सड़कों की जांच

जांच : 19 अक्तूबर 2022हेडक्वार्टर फ्लाइंग स्क्वायड टीम ने की थी जांच

हेडक्वार्टर फ्लाइंग स्क्वायड टीम ने आखिरी बार 19 अक्तूबर 2022 को क्रॉस ड्रेनेज वर्क के साथ गोराडीह-सन्हौला वाया मोहनपुर रोड के किमी 0 से 18.609 में गुणवत्ता की जांच की थी. सड़क चौड़ीकरण व मजबूतीकरण का रखरखाव कार्य हुआ था. यह साल 2017-18 की योजना थी. इससे पहले इस टीम ने उक्त रोड का 06 अगस्त 2021 को जांच की थी. 18 दिसंबर 2020 में भागलपुर-अमरपुर वाया कजरैली रोड की जांच की थी.

जांच : 14 जुलाई 2020

सर्किल फ्लाइंग स्क्वायड टीम ने भी की थी जांचसर्किल फ्लाइंड स्क्वायड टीम ने 14 जुलाई 2020 में भागलपुर-अमरपुर वाया कजरैली रोड की जांच की थी. यह स्टेट हाइवे 25 है. साल 2018-19 की योजना पर सड़क बनी थी. इससे पहले 28 जून 2020 में तिलकामांझी से चंपानगर रोड में किमी पांच से किमी 6.5 यानी, तिलकामांझी चौक से घूरनपीर बाबा चौक के बीच सड़क की गुणवत्ता की जांच की थी. सिर्फ डेढ़ किमी सड़क के निर्माण एक करोड़ से ज्यादा खर्च हुआ था लेकिन, सड़क जगह-जगह से टूटने लगी थी.

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