Ganga In Bhagalpur: मां को अंतिम विदाई देने का गम लेकर चले थे, पुल घाट ने कष्ट दोगुना कर दिया
भागलपुर में गंगा नदी के पुल घाट पर इतना कचरा है कि श्मशान घाट पर दाह संस्कार के बाद पुल घाट पर स्नान करने आए लोग निराश होकर लौट रहे हैं
Ganga Pollution: दो दिन पहले की घटना है. भागलपुर जिले के बहवलपुर गांव में 100 वर्षीया केशरी देवी का निधन हो गया था. उनके बेटे, रिश्तेदार और समाज से बड़ी संख्या में लोग बरारी श्मशान घाट पहुंचे और दाह-संस्कार किये. इसके बाद सनातन परंपरा के अनुसार सभी पास ही स्थित बरारी पुल घाट स्नान करने के लिए पहुंचे. रविवार को जैसे ही वे लोग पुल घाट पर पहुंचे, पानी में उतरने से पहले पांव ठिठक गये. गंदगी, पानी का हरा-काला रंग और चारों ओर फैली दुर्गंध के चलते वे स्नान करने का साहस नहीं जुटा सके.
केशरी देवी के पुत्र सह वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि एक तो मां की अंतिम विदाई से मन उदास था. बची-खुची कसर मैली गंगा ने कर दी. जल में प्रवाह का कोई नामोनिशान नहीं था. कहने को गंगा और सच में मैले जल का प्रपात. स्नान करने का मतलब था स्किन एलर्जी का शिकार हो जाना. लिहाजा महज रस्म अदायगी कर साथ गये ग्रामीणों और मौके पर आये सगे-संबंधियों व मित्रों संग वापसी की राह पकड़ी. घर पर ही स्नान किया.
यह तकलीफ सिर्फ राजेंद्र सिंह की नहीं है, हर दिन श्मशान घाट पर औसतन 25-30 शवों का दाह-संस्कार होता है और उनके साथ आने वाले लोगों को भी पुल घाट पर यही तकलीफ झेलनी पड़ती है. यह वही घाट है, जहां हर दिन सैकड़ों श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए पहुंचते थे. यहां जहाज पहुंचता था. पिछले कई वर्षों से यहां से गंगा दो-तीन किलोमीटर उत्तर की ओर शिफ्ट कर गयी है.
एनजीटी के आदेश पर नहीं हो रही गंभीरता से पहल
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) का आदेश है कि शहर के नालों से निकलने वाले गंदा पानी को रिसाइकल करने के बाद ही नदी में छोड़ना है. इससे नदी प्रदूषित नहीं होगी. लेकिन सिर्फ भागलपुर शहर की बात करें, तो यहां के लगभग 50 नालों का पानी सीधे जमुनिया नदी में उतरता है, जो बरारी पुल घाट होते हुए गंगा में पहुंचता है.
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का हो रहा धीमी गति से निर्माण
भागलपुर शहर में साहेबगंज स्थित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण चल रहा है. इसकी क्षमता 45 एमएलडी गंदा पानी को हर दिन साफ करने की होगी. वर्ष 2017 से चल रही इस योजना को पूरा करने की समय सीमा कई बार बढ़ायी जा चुकी है. अब इसे पूरा करने का लक्ष्य अक्तूबर, 2024 तक का मिला है. मई, 2024 की रिपोर्ट के अनुसार इसका फिजिकल प्रोग्रेस 75 प्रतिशत हो चुका है. लेकिन शहर में विभिन्न जगहों पर बन रहे इसे पंपिंग स्टेशन और साहेबगंज में तैयार हो रहे प्लांट की स्थिति देख अक्तूबर में पूरा होने की उम्मीद नहीं दिख रही है. इसका निर्माण जितना जल्द हो जायेगा, नदी का प्रदूषण उतना ही जल्द दूर होने लगेगा.