अजगैवीनगरी में गंगा का हुआ पुनर्जन्म, गंगा बनी जाह्नवी
अजगैवीनगरी में गंगा का पुनर्जन्म वैशाख शुक्ल सप्तमी के दिन हुआ था. गंगा पुनर्जन्म के बाद सुलतानगंज से आगे जाह्नवी कहलायी.
सुलतानगंज. अजगैवीनगरी में गंगा का पुनर्जन्म वैशाख शुक्ल सप्तमी के दिन हुआ था. गंगा पुनर्जन्म के बाद सुलतानगंज से आगे जाह्नवी कहलायी. जाह्नवी महोत्सव पर मंगलवार को सुलतानगंज के गंगा घाट पर भव्य महाआरती होगी. मंगलवार को गंगा सप्तमी है, हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ जुटेगी. भव्य रूप से मां गंगा की जयंती मनायी जायेगी. पंडित संजीव झा ने बताया कि भगीरथ के प्रयास से गंगा स्वर्गलोक से पृथ्वी पर उतरी थी. आगे-आगे भगीरथ पीछे-पीछे गंगा पूरे वेग में चल रही थी. अजगैवी नगरी के जाह्नु क्षेत्र में बिना अनुमति के भगीरथ ने गंगा को लेकर जाने की कोशिश की. ऋषि जाह्नु क्रोधित होकर मात्र तीन अंजलि में भागीरथी गंगा को पान कर गये. गंगा को विलीन देख भगीरथ व्याकुल हो गये. भगवान शंकर का आह्वान किया. भगवान शंकर अपने अजगव नामक धनुष के साथ प्रकट हुए तथा गंगा को मुक्त करने की आज्ञा दी. भगवान शिव ने ॠषि जह्नु को कहा कि आज से गंगा तुम्हारी पुत्री के रूप में रहेगी और मैं स्वयं तुम्हारे पास विद्यमान रहूंगा. तब जाह्नु ॠषि ने गंगा को मुक्त किया. वह तिथि वैशाख शुक्ल सप्तमी थी. इस दिन से गंगा का एक और नाम जाह्नवी हुआ. वैशाख शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि को गंगा का पुनर्जन्म हुआ था. इस दिन स्नान व पूजा से मां गंगा कल्याण करती है. ब्रह्म हत्या के पाप का प्रायश्चित करने भगवान राम अजगैवीनगरी के जाह्नवी गंगा में स्नान कर बाबा बैद्यनाथ को जल चढ़ाने पैदल प्रस्थान किये थे. गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि गंगा में मैं जाह्नवी हूं. इस दिन गंगा स्नान से पाप, ताप, संताप का हरण होता है. जो सच्चे मन से मां गंगा से कुछ मांगता है, मां उसकी इच्छा जरूर पूरी करती है. पंडित संजीव झा ने बताया कि गंगा जयंती को जाह्नवी महोत्सव के रूप में मनाया जाता है. मंगलवार शाम को षोडपोचार पूजा के बाद गंगा की महाआरती होगी. अधिक से अधिक लोगो से कार्यक्रम में पहुंचने की अपील की गयी है.
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