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कूड़ा बिनने वाले पवन को अभिनेता बनने की चाहत ने पहुंचाया स्कूल, अन्य बच्चों को भी किया प्रेरित

कूड़ा बिनने वाले पवन को अभिनेता बनने की चाहत ने स्कूल तक पहुंचाया. इसमें वरीय रंगकर्मियों का सानिध्य मिला. दरअसल झुग्गी बस्ती के महादलित परिवार में जन्मे पवन प्राय: कला केंद्र व अन्य स्थानों पर होने वाले नाटक को देखता और कलाकारों व निर्देशक के सामने अभिनेता बनने की इच्छा व्यक्त करता. बार-बार अभिनेता बनने की चाहत को देखकर वरीय रंगकर्मियों ने पवन को पढ़ने के लिए प्रेरित किया. पवन कूड़ा बिनने वाले परिवार का पहला बच्चा था, जो कि पढ़ने के लिए स्कूल पहुंचा.

कूड़ा बिनने वाले पवन को अभिनेता बनने की चाहत ने स्कूल तक पहुंचाया. इसमें वरीय रंगकर्मियों का सानिध्य मिला. दरअसल झुग्गी बस्ती के महादलित परिवार में जन्मे पवन प्राय: कला केंद्र व अन्य स्थानों पर होने वाले नाटक को देखता और कलाकारों व निर्देशक के सामने अभिनेता बनने की इच्छा व्यक्त करता. बार-बार अभिनेता बनने की चाहत को देखकर वरीय रंगकर्मियों ने पवन को पढ़ने के लिए प्रेरित किया. पवन कूड़ा बिनने वाले परिवार का पहला बच्चा था, जो कि पढ़ने के लिए स्कूल पहुंचा. आलय के निदेशक डॉ चैतन्य प्रकाश ने बताया कि पवन अभिनेता बनने के लिए खासकर नाटक के रोल पाने के लिए खुद अपना मेकअप करके ग्रीन पहुंच जाता था. बार-बार के प्रयास के बाद उसे स्कूल जाने को प्रेरित किया, ताकि पढ़-लिखकर अच्छा अभिनेता बन जाये. बाद में पवन स्कूल जाने के लिए संघर्ष किया. खुद नीला कागज चिपका कर यूनिफॉर्म बनाता है और नाले में बह रहे बैग को साफ करता है. फिर कंधे पर लेकर स्कूल पहुंचता है. चैतन्य प्रकाश ने बताया कि कुछ दिन बाद ही पवन की असामयिक मौत हो गयी. इसके बाद इस पर एक लघु फिल्म बनाने का निर्णय लिया गया.

समाज की मुख्य धारा से जुड़ने की कोशिश करनेवालों के लिए होगा प्रेरक

फिल्म की पटकथा, गीत और निर्देशन डॉ चैतन्य प्रकाश ने किया है. इसके निर्माण में सांस्कृतिक संस्था आलय, निर्माण कला मंच पटना, किलकारी भागलपुर तथा संगम स्टूडियो ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है. इस फिल्म में दर्शाया गया है कि महादलित परिवार का बच्चा पवन अभिनेता बनना चाहता है और शहर में हो रहे नाटकों के पूर्वाभ्यास को देखता रहता है. पवन की लगन को देखकर निर्देशक कहता है कि इस तरह पवन उन लाखों दलित व झुग्गी-बस्ती के बच्चों के लिए प्रेरक है जो समाज की मुख्य धारा से जुड़ने की कोशिश करता है.

वर्ष 2017 में ही पूरी हो चुकी है यह फिल्म, एडिटिंग थी बांकी

निर्देशक चैतन्य ने बताया कि इस फिल्म की शूटिंग 2017 में ही पूरी हो चुकी थी, लेकिन कुछ तकनीकी कार्य से अभी तक एडिटिंग नहीं हो पायी. इस फिल्म की एडिटिंग करके गोवा भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में शामिल कराया जायेगा.

पवन के साथ इस फिल्म में वरिष्ठ रंगकर्मी मदन, नृत्य गुरु मिथलेश कुमार रिन्टू, रंजीत मिश्रा ,अतुल कुमार आदि ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. पवन की आवाज डबिंग किलकारी के चंदन कुमार ने की है. किलकारी की ही निशा कुमारी ने बेहतरीन आवाज दी. एडिटिंग विकास कुमार ने की, तो सह संपादन संजीव संगम तथा बिट्टू यादव ने किया. मनोज कुमार सिंह, शशि शंकर, प्रगति मिश्रा, ब्रजकिशोर सिंह, दिवाकर कुमार, मिथिलेश आनंद, सलमान अनवर, आलोक राज, राहुल झा, विकास चंद्र, पवन यादव, अमित कुमार, मुन्ना बिहारी, सज्जन कुमार तथा जयप्रकाश का भी योगदान रहा.

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