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एमईसी में 18 साल से थे महासचिव व दस साल थे अध्यक्ष

एमईसी में प्रो फारूक अली 18 साल से महासचिव व इंजीनियर मो इस्लाम दस साल से अध्यक्ष पद पर काबिज थे.

एमईसी में प्रो फारूक अली 18 साल से महासचिव व इंजीनियर मो इस्लाम दस साल से अध्यक्ष पद पर काबिज थे. इतना लंबे समय का सेवा सदन ने महज तीन घंटे में समाप्त हो गया. कार्रवाई उपाध्यक्ष सैयद अफजाल अहमद की अध्यक्षता में हुई. जबकि संयुक्त सचिव प्रथम मुफ्ती मो इलियास ने सदन की कार्रवाई को आगे बढ़ाया. संचालन संयुक्त सचिव आरिफ अली ने किया.

सदन की शुरुआत तिलाबत से की गयी. इसके बाद आरिफ अली ने सदन को एजेंडा पढ़कर सुनाया. सदन को बताया कि अध्यक्ष व महासचिव के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी. इस दौरान उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुये कहा कि दोनों अधिकारी मनमानी रूप से काम कर रहे हैं. सदस्यों को बिना सूचना दिये खुद से फैसला लेते हैं. बिना बैठक एमईसी के उपाध्यक्ष व संयुक्त सचिव प्रथम को पद से हटाते हुए सदस्यता समाप्त की थी. साथ ही उर्दू गर्ल्स हाई स्कूल के जीबी के सचिव को भी हटा दिया गया. ऐसे कई निर्णय अध्यक्ष व महासचिव ने लिया.

सदन को मिला दो मिनट, नहीं आया दूसरा नाम

सदन में जब मुकर्रम खान ने नये अध्यक्ष के लिए डॉ मजहर अख्तर शकील का नाम प्रस्तावित किया, तो सरवर अली हाशमी ने उन नाम का समर्थन किया. इस तरह महासचिव पद के लिए मति आजम ने हारीश फरीदी के नाम का प्रस्ताव सदन में रखा, तो इबरार हुसैन उर्फ बेला ने नाम का समर्थन किया. सदन की कार्रवाई का संचालन कर रहे आरिफ अली ने अध्यक्ष व महासचिव के दूसरे नाम के लिए प्रस्ताव रखने के लिए सदस्यों को दो-दो मिनट का भी समय दिया, लेकिन दूसरा नाम सामने नहीं आया. इसके बाद नये अध्यक्ष व महासचिव की घोषणा सदन में कर दी गयी.

पर्सनल टिप्पणी करने पर बर्दी खान हुए गर्म

सदन में एक सदस्य द्वारा महासचिव पर पर्सनल टिप्पणी किये जाने पर सदस्य बर्दी खान गर्म हो गये. नाराजगी जताते हुए कहा कि किसी पर लाक्ष्ण लगाने का अधिकार नहीं है. कहा कि हमारे बुजुर्गों ने एमईसी की स्थापना के लिए अपना खून-पसीना लगाया. मुस्लिम समाज का इकलौता संस्था है. इस तरह से बर्बाद होते नहीं देख सकता हूं. आपसी रंजिश से संस्था की बदनामी हो रही है. कहा जो विवाद चल रहा था उसे 90 फीसद सुलझा लिया गया था, लेकिन अचानक से क्या हुआ समझ से परे है.

एक महिला शिक्षिका के विवाद में दो अधिकारी का गया पद

उर्दू गर्ल्स हाईस्कूल की एक शिक्षिका को लेकर शुरू विवाद में एमईसी के अध्यक्ष व महासचिव का पद चला गया. हालांकि शिक्षिका स्कूल में कार्यरत है. दरअसल, स्कूल में बीएलओ के पत्र नहीं लेने के मामले में स्कूल के जीबी व एमईसी के अधिकारी सामने हो गये थे. इसके बाद दोनों तरफ से सदस्यों को हटाने की प्रक्रिया लगातार होती रही.

जीबी के सचिव के पास अध्यक्ष को हटाने का अधिकार नहीं

सदन में स्कूल के जीबी के अध्यक्ष रहे डॉ रिजवान उल्लाह ने कहा कि सचिव द्वारा उन्हें हटाने का अधिकार नहीं है. पूरे प्रकरण में उनका क्या कसूर था. सदन को बताया कि उर्दू गर्ल्स हाई स्कूल है, लेकिन यहां पुरुष शिक्षकों की नियुक्ति की गयी. इसे लेकर उनका जरूर विरोध था.उधर, सदस्य नैय्यर आजम ने सदन को बताया कि एमईसी के अध्यक्ष व महासचिव को किसी को भी हटाने का अधिकारी नहीं है. किसी को हटाने के लिए सदन की बैठक बुलानी होती है. सदस्य शमसउद्दीन, सदस्य डॉ मजहर अख्तर शकील, सदस्य अंशु अंसारी, सदस्य हारीश फरीदी, मुकर्रम खान, इबरार हुसैन मो अंशु अंसारी आदि सदस्यों ने भी अध्यक्ष मो इस्लाम व महासचिव प्रो फारूक अली द्वारा किये गये कार्रवाई पर नाराजगी जतायी. सभी ने अविश्वास प्रस्ताव लाने का समर्थन किया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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