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बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे जुल्म पर सज्जादानशीं ने जताया दुख

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर खानकाह-ए-पीर शाह दमड़िया के सज्जादानशीं सैयद शाह फखरे आलम हसन ने दुख व्यक्त किया है.

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर खानकाह-ए-पीर शाह दमड़िया के सज्जादानशीं सैयद शाह फखरे आलम हसन ने दुख व्यक्त किया है. उन्होंने हुए कहा कि यह चिंता का विषय है. सज्जादानशीं शाह हसन ने कहा सबसे ज्यादा जिस बात से तकलीफ हो रही है वह बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के लोगों के साथ जो हिन्दू धर्म के मानने वाले हैं, उनके साथ दुर्व्यवहार व हिंसा की जा रही है. यह कहीं से जायज नहीं है. इसकी जितनी निंदा की जाये कम है. यह समाज के तमाम लोगों के लिए कष्टदायी है. सज्जादानशीं ने भारत सरकार से भी अनुरोध किया है कि बांग्लादेश में हिन्दू भाइयों को हर संभव सुरक्षा मुहैया कराया जाये. मोदी सरकार से अनुरोध किया है कि बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदुओं को भारत में शरण देकर उन्हें यहां की नागरिकता देनी चाहिए. ताकि हिन्दू भाई की रक्षा की जा सके. —————————– शोध कार्य में बेहतर करने वाले शिक्षक होंगे सम्मानित टीएनबी कॉलेज मनोविज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ श्वेता पाठक चेक गणराज्य में आयोजित हुए अंतर राष्ट्रीय सेमिनार में शामिल होकर वापस अपने वतन लौट आयी है. उन्होंने अंतर राष्ट्रीय स्तर पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया था. गुरुवार को डॉ पाठक कुलपति प्रो जवाहर लाल से आवासीय कार्यालय में शिष्टाचार मुलाकात की. साथ ही आगामी शोध कार्य की योजना के बारे में विस्तार से बताया. वीसी ने डॉ पाठक का उत्साह वर्द्धन किया. उन्होंने कहा कि अंतर राष्ट्रीय सेमिनार में भाग लेकर टीएमबीयू का मान व गौरव बढ़ाने का काम किया है. आगे भी शोध व अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय संगोष्ठी में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया है. साथ ही कहा कि विवि के अन्य शिक्षकों को भी डॉ पाठक की तरह दूसरे देशों में होने वाले आयोजनों में हिस्सा लेकर टीएमबीयू का मान बढ़ाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि जो शिक्षक शोध के क्षेत्र में बेहतर करेंगे. विवि प्रशासन की तरफ से सम्मानित व प्रोत्साहित भी किया जायेगा. उधर, डॉ श्वेता पाठक ने बताया कि जुलाई में चेक गणराज्य के प्राग शहर में एसोशियसन ऑफ साइकोलॉजिकल स्टडीज के सहयोग से इंटरनेशनल कांग्रेस ऑफ साइकोलॉजी (आईसीपी) में भाग लेने का मौका मिला था. इसके लिए उनका शोध पत्र स्वीकृत किया गया था. उनका शोध पत्र विद्यार्थियों के एकेडमिक जीवन व खुशी के अध्ययन पर आधारित था. डॉ पाठक को इस शोध कार्य के लिए डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी से फेलोशिप से सम्मानित भी किया गया है.

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