भागलपुर के गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा में मना श्री गुरु हरगोविंद सिंह जी का प्रकाश पर्व, प्रवचन व अटूट लंगर का आयोजन

भागलपुर के गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा में सिख गुरु श्री गुरु हरगाेविंद सिंह जी का प्रकशोत्सव मनाया गया. वो अर्जुन देव जी की इकलौती संतान थे.

By Anand Shekhar | June 23, 2024 9:28 PM

भागलपुर. श्री गुरु हरगोविंद सिंह जी ने दो तलवारें पहननी शुरू की. एक आध्यात्मिक शक्ति के लिए (पीरी) और दूसरा सैन्य शक्ति के लिए (मीरी). गुरु हरगोविंद साहिब जी ने अकाल तख्त का निर्माण भी कराया. अपने जीवनकाल में बुनियादी मानव अधिकारों के लिए कई लड़ाइयां लड़ीं. उक्त बातें गुरुद्वारा साहब के ग्रंथी सरदार जसपाल सिंह ने रविवार को गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा में सिख धर्म के छठे गुरु श्री गुरु हरगाेविंद के प्रकाश पर्व पर आयोजित कार्यक्रम में कही.

लंगर छककर हुआ कार्यक्रम का समापन

इस दौरान शबद-कीर्तन, कृतित्व व व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला गया. भाई संजय सिंह एवं भाई जसपाल सिंह ने गुरु की जीवनी पर प्रकाश डाला. पंज प्यारे पंज पीर छठम गुरु बैठा गुर भारी … जैसे शबद गाकर माहौल को भक्तिमय कर दिया. कार्यक्रम का समापन अटूट लंगर छककर हुआ.

1595 में हुआ था हरगोविंद साहिब जी का जन्म

प्रवक्ता सरदार हर्षप्रीत सिंह ने कहा कि छठे गुरु श्री हरगोविंद साहिब जी का जन्म 1595 में हुआ. वे गुरु अर्जुन देव जी की इकलौती संतान थे. सिख समुदाय को एक सेना के रूप में संगठित करने का श्रेय इन्हें ही जाता है. इन्होंने सिख कौम को योद्धा-चरित्र प्रदान किया था. 1606 में 11 साल की उम्र में ही गुरु हरगोविंद साहिब जी ने अपने पिता से गुरु की उपाधि पा ली थी. इन्होंने शांति और ध्यान में लीन रहनेवाले सिख कौम को राजनीतिक और आध्यात्मिक दोनों तरीकों से चलाने का फैसला किया.

कार्यक्रम में ये रहे मौजूद

कार्यक्रम में गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के संरक्षक खेमचंद बच्चानी, अध्यक्ष सरदार ताजेंद्र सिंह, सचिव सरदार बलबीर सिंह, उपाध्यक्ष सरदार हरविंदर सिंह, कोषाध्यक्ष सरदार मंजीत सिंह, कमेटी सदस्य सरदार अजीत सिंह, रमेश सूरी, चरणजीत सिंह आदि का योगदान रहा.

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