छोटी खंजरपुर स्थित कला महाविद्यालय के प्राचार्य दीपक कुमार उर्फ दीपक कलाकार का सोमवार को असामयिक निधन हो गया. वे 58 वर्ष के थे. कोरोना संक्रमणकाल में दीपक कलाकार लकवा के शिकार हो गये थे. ठीक से बोल भी नहीं पा रहे थे. तबीयत अधिक बिगड़ जाने पर उन्हें जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में भर्ती कराया गया था. आखिरकार उन्होंने अस्पताल में ही सोमवार सुबह 10.26 बजे अंतिम सांस ली. उनके घर में पत्नी कृष्णा देवी और पुत्री भावना व सपना हैं.
यादों में रह गयी राणी सती दादी मंदिर की चित्रकथा
दीपक कलाकार ने जीवनकाल में अपनी कलाकारी की एक से बढ़ कर एक पहचान स्थापित की. राजस्थान स्थित झुंझुनू राणी सती दादी मंदिर में चित्रकथा बना चुके हैं. ओड़िशा, महाराष्ट्र के बेला, असम व गुवाहाटी में दुर्गापूजा के दौरान कई बार सेट तैयार किये. चित्रकला, मूर्तिकला व संगीत के फनकार थे. नाटक के अद्भुत पर्दे तैयार करने के लिए भी जाने जाते थे.…और जब हाथ से छूट गयी थी कूची
उनके पिता चंद्रशेखर प्रसाद भागलपुर शहर के मशहूर मूर्तिकार व चित्रकार थे. राष्ट्रभाषा पुस्तकालय में उनके पिताजी मूर्ति बनाते थे और दीपक कलाकार उसमें रंग भरने में सहयोग किया करते थे. पिताजी ने उन्हें बचपन में ही कूची पकड़ा दी और धीरे-धीरे कला के विविध क्षेत्रों में रमते चले गये. पूर्व में मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और पटना आदि शहरों में जागरण का आयोजन किया करते थे. इनकी एसएस म्यूजिकल ग्रुप नाम से मंडली थी. उनकी बेटी सपना ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल में दीपक कलाकार लकवा के शिकार हो गये. तभी से उनके हाथ से कूची छूट गयी. हारमोनियम, नाल और ट्रिपल से भी नाता टूट गया. यह विवशता उन्हें अंतिम समय तक खलती रही.
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