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हाईकोर्ट ने पूर्व रजिस्ट्रार की अर्जी किया खारिज

टीएमबीयू के पूर्व रजिस्ट्रार डाॅ गिरिजेश नंदन कुमार की हाईकोर्ट ने अर्जी खारिज कर दिया है. उन्हाेंने अर्जी में कुलपति प्राे जवाहर लाल द्वारा निलंबित किये जाने के मामले में कोर्ट में चुनाैती दी थी.

टीएमबीयू के पूर्व रजिस्ट्रार डाॅ गिरिजेश नंदन कुमार की हाईकोर्ट ने अर्जी खारिज कर दिया है. उन्हाेंने अर्जी में कुलपति प्राे जवाहर लाल द्वारा निलंबित किये जाने के मामले में कोर्ट में चुनाैती दी थी. दरअसल, शिक्षा विभाग की बैठक में गेस्ट फैकल्टी की बहाली मामले में कुलपति से बहस करने का आरोप था. इसे लेकर कुलपति ने आठ जनवरी काे निलंबित कर दिया था. इस बाबत पूर्व रजिस्ट्रार ने हाइकोर्ट में अर्जी दिया था. अर्जी में कहा गया था कि कुलपति नियुक्ति नहीं करते है, न ही अधिकार है. ऐसे वीसी उन पर कार्रवाई नहीं कर सकते हैं. लेकिन जस्टिस अंजनी कुमार शरण के काेर्ट ने पाया कि जाे नियोक्ता नहीं है. ऐसे में किसी कर्मी या अपने मातहत अधिकारी काे बर्खास्त या हटा नहीं सकता है. साथ ही निलंबन की कार्रवाई इस जद में नहीं आती है. निलंबन के बाद डाॅ कुमार काे राजभवन की ओर से विरमित किया जाना, उनकी जगह नये रजिस्ट्रार की नियुक्ति और नये रजिस्ट्रार का याेगदान कर देना भी डाॅ कुमार के खिलाफ गया है. ——————— खुद काे रजिस्ट्रार बता निलंबित किये जाने काे लेकर दी थी चुनाैती – विवि के पूर्व रजिसट्रार गिरिजेश नंदन कुमार ने खुद काे रजिस्ट्रार बताते हुए निलंबित किये जाने काे चुनाैती कोर्ट में दी थी. जबकि राजभवन ने निलंबन के बाद विरमित कर दिया था. उनकी जगह पर डाॅ विकास चंद्रा काे टीएमबीयू का नया रजिस्ट्रार नियुक्ति कर दिया था. डाॅ चंद्रा ने रजिस्ट्रार पद पर योगदान भी कर दिया था. ऐसे में रजिस्ट्रार के पद पर रहते हुए निलंबन की कार्रवाई मामले में दी गयी चुनाैती को काेर्ट ने खारिज कर दिया है. ————————— कुलपति को निलंबित करने का अधिकार नहीं – पूर्व रजिस्ट्रार ने अर्जी में कहा था कि कुलपति काे निलंबित करने का अधिकार नहीं है. इसका वजह है कि उनकी नियुक्ति कुलपति नहीं की है. बल्कि राजभवन से किया गया है. काेर्ट ने इसे भी अस्वीकार कर दिया. मामले में विवि के अधिवक्ता ने काेर्ट काे बताया कि निलंबन पर याचिकाकर्ता ने राजभवन में काेई अपील नहीं की है. सीधे काेर्ट में ही अर्जी किया है. जबकि उनकी नियुक्ति राजभवन से होने के नाते उन्हें पहले राजभवन में ही बात रखनी चाहिए थी. विवि एक्ट व संविधान की विभिन्न धारा का हवाला देते हुए विवि के अधिवक्ता ने काेर्ट काे बताया कि प्रशासनिक कार्याें के सुचारू संचालन के लिए निलंबन की कार्रवाई की जा सकती है. यह बर्खास्तगी या पद से हटाने जैसी कार्रवाई नहीं है. पूर्व रजिस्ट्रार आदतन कुलपति के निर्देशाें का पालन नहीं कर रहे थे. इसे लेकर उनको नाै बार शाेकाॅज भी किया गया था.

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