एचएमपीवी संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए 40 बेड रिजर्व

- मायागंज अस्पताल के फैब्रिकेटेड वार्ड में होगा संक्रमित का इलाज

By Prabhat Khabar News Desk | January 7, 2025 9:36 PM

– बीमारी का लक्षण : कफ, फीवर, नाक बहना, गले में दर्द व सूजन, दम फूलना आदि

कोरोना के बाद अब एचएमपीवी यानी ह्यूमन मेटा न्यूमो वायरस के संक्रमण का खतरा मंडराने लगा है. चीन में फैली इस महामारी के बाद देश में अब तक इसके नौ मरीज मिल चुके हैं. संक्रमण की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर है. हालांकि अब तक बिहार में एक भी मरीज नहीं मिलने के कारण स्थिति सामान्य है. संक्रमित मरीजों के लिए इलाज के लिए जेएलएनएमसीएच में 40 बेड को सुरक्षित रखा गया है. सभी बेड पर ऑक्सीजन की व्यवस्था की गयी है. मामले पर अस्पताल अधीक्षक डॉ केके सिन्हा ने बताया कि राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से इस बीमारी के इलाज व जागरूकता को लेकर पत्र जारी किया गया है. मंगलवार को फैब्रिकेटेड वार्ड में संचालित इमरजेंसी मेडिसिन विभाग में 40 बेड सुरक्षित कर दिये गये. इनमें से 20 बेड पर सिर्फ बच्चों का इलाज होगा. उन्होंने बताया कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च आइसीएमआर की ओर से भी पब्लिक गाइडलाइन कुछ दिनों में जारी किया जायेगा. इसके लिए पुणे, चंडीगढ़ व वेल्लौर के वायरस रिसर्च सेंटर से आइसीएमआर सुझाव ले रहा है.

कोविड जैसे मिलते जुलते लक्षण : जेएलएनएमसीएच के अस्पताल अधीक्षक डॉ केके सिन्हा के अनुसार एचएमपीवी संक्रमित मरीजों के लक्षण कोविड-19 से काफी मिलते हैं. संक्रमित लोगों को कफ, फीवर, नाक बहना, गले में दर्द व सूजन, दम फूलना जैसे लक्षण होते हैं.

यह संक्रमण पहले सांस के माध्यम से श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है. उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के निर्देश के अनुसार इंफ्लूएंजा, निमोनिया व दमा समेत सांस के गंभीर मरीजों का सैंपल लेकर इसे जांच के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे भेजा जायेगा. इस बीमारी की जांच के लिए अबतक कोई किट या इलाज के लिए वैक्सीन नहीं बना है.

कोविड जैसे प्रोटोकॉल का करें पालन

– हाथों को साबुन एवं पानी से लगातार धोना

– गंदे हाथों से आंख, नाक अथवा मुंह को नहीं छूना

– सर्दी खांसी जैसे संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाये रखना

– खांसते एवं छींकते वक्त मुंह को रुमाल से ढंकना

– संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आये वस्तुओं को लगातार साफ करना

– संक्रमण की अवधि में खुद को घर में ही आइसोलेट करना

– छोटे बच्चे व 60 वर्षों से अधिक उम्र वाले व्यक्ति बरतें विशेष एहतियात

– कम इम्यूनिटी वाले मरीजों को सतर्क रहना है

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