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54 प्रतिशत पशुगणना में चार लाख पशु व नौ लाख पक्षियों की हुई गिनती, समय पर गणना पूर्ण करना चुनौती

जिला पशुपालन विभाग की ओर से पंचवर्षीय पशुगणना कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ 25 नवंबर को हुआ था.

जिला पशुपालन विभाग की ओर से पंचवर्षीय पशुगणना कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ 25 नवंबर को हुआ था. नेटवर्किंग में गड़बड़ी के कारण निर्धारित समय 28 फरवरी के विरुद्ध 54 प्रतिशत ही पशुगणना हो पायी है. अब तक कुल 4.7448 लाख पशुओं व नौ लाख पक्षियों की गणना हो पायी है. पशुगणना कार्यक्रम के नोडल पदाधिकारी डॉ संतोष कुमार ने बताया कि यह गणना प्रत्येक पांच वर्षों में होती है. 678381 होल्डिंग लक्ष्य के विरुद्ध 365725 पशुगणना का काम हो पाया है. 220 प्रगणन व 37 पर्यवेक्षक दिन-रात काम में लगे हैं, ताकि 28 फरवरी तक कार्य को पूरा किया जा सके. अब तक 54 प्रतिशत पशुगणना हुआ है. नौ लाख पक्षियों की गणना में 90 प्रतिशत कुक्कुट है, बांकी बत्तख, बटेर व कबूतर है. पशुओं में अलग-अलग डाटा कार्य पूरा होने के बाद ही इसे तैयार किया जा सकेगा. प्रगणक स्तर तक प्रतिदिन मॉनीटरिंग की जा रही है. पर्यवेक्षक व जिला पशुपालन पदाधिकारी की ओर से मॉनीटरिंग की जा रही है. उन्होंने बताया कि पशुगणना कार्य की सबसे बड़ी चुनौती ऑनलाइन डाटा तैयार करना है. इसके लिए नेटवर्क में गड़बड़ी है. लोकेशन ऑन नहीं होता है.

इन पशुओं की हो रही गिनती

मुख्य रूप से गाय, भैंस, बकरियां, सुअर, कुत्ते, मुर्गा, बत्तख व अन्य तरह के जीव-जंतु हैं, जिनकी गिनती की जा रही है. नोडल पदाधिकारी डॉ संतोष कुमार ने बताया कि हरेक पांच साल में पशुगणना होता है. पांच साल पहले हुई गिनती में 8.97 लाख गाय व भैंस मिले थे. वहीं 4.80 लाख बकरी व भेड़ की गिनती हुई थी. अपील की कि गणना के दौरान लोग अपने घर में आये प्रगणकों को सहयोग करें. इससे पशुओं से संबंधित योजनाओं को बनाने में आसानी होगी. इसका सीधा लाभ पशुपालकों को मिलेगा.

पहले आइडी नहीं मिलने से पशुगणना में हुई थी देरी

पशुधन गणना कार्यक्रम पर सांकेतिक उद्घाटन के बाद ब्रेक लग गया था. आइडी नहीं मिलने की वजह से गणना रोकना पड़ा. केंद्र सरकार की ओर से आइडी मिलने के बाद ही एप पर पशुओं की गिनती का डाटा तैयार किया जाना था. तिलकामांझी स्थित जिला पशुपालन विभाग के कार्यालय से एमएलसी डॉ एनके यादव ने गणना कार्य का सांकेतिक शुभारंभ किया था.

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