Bhagalpur news बीइओ के अभाव में विद्यालयों का नहीं हो पाता निरीक्षण

अनुमंडल में सरकारी शिक्षा व्यवस्था का हाल भगवान भरोसे है

By Prabhat Khabar News Desk | December 9, 2024 11:18 PM

विपिन ठाकुर, गोपालपुर अनुमंडल में सरकारी शिक्षा व्यवस्था का हाल भगवान भरोसे है. शिक्षा विभाग नवगछिया अनुमंडल में सरकारी विद्यालयों के निरीक्षण करने की भले ही कई तरह की व्यवस्था की हो, लेकिन इसके अनुपालन व नियंत्रण के लिए प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी स्तर के अधिकारी उपलब्ध नहीं हैं. अधिकतर प्रखंडों में बीइओ का पद प्रभार में चल रहा हैं. प्रखंडस्तरीय निरीक्षण व अनुपालन की सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. नवगछिया अनुमंडल में एक मात्र नारायणपुर प्रखंड में पदस्थापित बीइओ को बिहपुर व खरीक प्रखण्ड का अतिरिक्त प्रभार है. उच्च शिक्षा के डीपीओ को गोपालपुर व इस्माईलपुर प्रखंड का प्रभार है. नवगछिया प्रखंड के प्रभार में मध्याह्न भोजन के डीपीओ हैं. रंगरा प्रखंड के प्रभार में शिक्षा विभाग के पीओ हैं. अलग-अलग दो से तीन प्रखंडों के प्रभार में अघिकारियों के रहने से जांच व उसके बाद कार्रवाई की खानापूर्ति ही होता है. गोपालपुर व इस्माईलपुर प्रखंड में पिछले दो-तीन वर्षों से बीइओ का पद रिक्त हैं. नवगछिया प्रखंड में पिछले दो वर्षों तथा रंगरा प्रखंड में तत्कालीन बीईओ की मौत के बाद से बीइओ पद रिक्त हैं. शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों के अनुसार जिले के शाहकुंड प्रखंड के बीईओ के प्रभार में सर्व शिक्षा अभियान के डीपीओ जमाल मुस्तफा हैं. सबौर के प्रभार में पीओ दिव्या कुमारी हैं. नगर निगम के प्रभार में डीपीओ बबीता कुमारी हैं. सन्हौला के बीईओ गोराडीह के प्रभार में हैं. सुल्तानगंज, नाथनगर, जगदीशपुर व कहलगांव में कमोबेश इसी तरह की व्यवस्था से काम चलाया जा रहा है. जिला मुख्यालय स्थित शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि जिले में बीईओ की कमी की जानकारी मुख्यालय को समय समय दी जाती है. वरीय पदाधिकारी के निर्देशानुसार विभिन्न प्रखंडों में व्यवस्था बनायी गयी है. प्रत्येक महीने बीआरसी स्तर पर शिक्षकों के साथ गुरु गोष्ठी कर पठन-पाठन की समीक्षा कर विभिन्न तरह की जानकारी शिक्षकों से ली जाती है. डाटा ऑपरेटर व लेखपाल के भरोसे ही बीआरसी कार्यालय संचालित होता है. बीआरसी में शिक्षा विभाग की ओर से विभिन्न पदों पर नियुक्ति की गयी है, लेकिन जांच के नाम पर खानापूर्ति ही होती है. दो-तीन महीने में एक बार डीपीओ या कोई विभाग के वरीय अधिकारी कुछ विद्यालयों का निरीक्षण कर जांच की खानापूर्ति कर रहे हैं. जांच के बाद किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं होने से विद्यालयों में पठन पाठन की व्यवस्था में सुधार नहीं हो रहा है. जिन-जिन विद्यालयों में शिक्षा विभाग के पूर्व प्रधान सचिव केके पाठक ने निरीक्षण के बाद सुधार करने का निर्देश डीइओ को दिया था. वैसे विद्यालयों में कोई सुधार नहीं हुआ है. अधिकतर विद्यालयों में मध्याह्नि भोजन के बाद बच्चे विद्यालय में रुकते नहींं हैं. एप से शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज होने पर निरीक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है.

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