भारतीय सांस्कृतिक सहयोग एवं मैत्री संघ (इस्कफ) की ओर से रविवार को वेराइटी चौक के समीप एक होटल के सभागार में जिला सम्मेलन सह सेमिनार का आयोजन हुआ. भारत की साझी संस्कृति एवं विरासत विषयक सेमिनार हुआ. इसमें वक्ताओं ने कहा कि आज भारतीय संस्कृति पर हमला तेज हो गया है. सांप्रदायिक शक्तियां, संस्कृति की अपने धार्मिक नजरिया से व्याख्या कर रही है, जो देश की अखंडता और एकता पर खतरा है.
भारत विविधता में एकता वाला देश है. यहां विविध प्रकार की संस्कृति पायी जाती है. उत्तर भारत की संस्कृति दक्षिण भारत से भिन्न है एवं पूर्वोत्तर भारत में भी अलग-अलग प्रकार की संस्कृति पायी जाती है. इन सभी संस्कृतियों का साझा स्वरूप ही भारतीय संस्कृति है. भारत के सांस्कृतिक इतिहास में विभिन्न संस्कृतियों का योगदान है. आर्य, शक, हुन, कुशान और मुगल की सांस्कृतिक विशेषताएं समाहित है, जो हमारी साझी संस्कृति की खूबसूरती है तथा जो दुनिया में अनोखी है. हमें इस चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. देश की अखंडता और एकता के लिए भारत की साझी सांस्कृतिक और इसके विरासत की रक्षा करना होगा.
25 सदस्यीय जिला परिषद का गठन, प्रो उपेंद्र साह अध्यक्ष व डॉ सुधीर शर्मा सचिव
सम्मेलन सत्र में संगठन का प्रतिवेदन डॉ सुधीर शर्मा ने पेश किया, जिसे बहस के बाद सर्वसम्मति से पास कर दिया गया. सम्मेलन में 25 सदस्यों वाली जिला परिषद का गठन किया गया. इसके बाद नवनिर्वाचित जिला परिषद ने प्रो उपेंद्र साह को अध्यक्ष एवं डॉ सुधीर शर्मा को सचिव निर्वाचित किया. प्रदीप कुमार सिंह, मनोहर शर्मा एवं रामशरण यादव को उपाध्यक्ष, प्रो जहीरूद्दीन एवं अनिल कुमार को सहायक सचिव, सचिन कुमार को कोषाध्यक्ष, हिमांशु कुमार, वसीम रजा, अनीता शर्मा, मो असलम, नीतीश कुमार को कार्यकारिणी का सदस्य निर्वाचित किया गया. इसके अलावा देवचंद झा, डॉअवधेश, वीएन द्विवेदी , जयनंदन साह, अभिमन्यु प्रसाद मंडल, दिलीप कुमार, निकेश कुमार, आदित्य राज ,देवकांत, संजीव कुमार दीपू एवं मो असलम को जिला परिषद का सदस्य चुना गया. इस अवसर पर महावीर प्रसाद सिंह, जय प्रकाश दास, निरंजन चौधरी, संतोष कुमार, दीना मूर्मु, ट्विंकल कुमारी, योगेंद्र मंडल, दिलीप कुमार एवं गोपाल राय उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है