धार्मिक नजरिये से संस्कृति की व्याख्या एकता व अखंडता के लिए खतरा
भारतीय सांस्कृतिक सहयोग एवं मैत्री संघ (इस्कफ) की ओर से रविवार को वेराइटी चौक के समीप एक होटल के सभागार में जिला सम्मेलन सह सेमिनार का आयोजन हुआ.
भारतीय सांस्कृतिक सहयोग एवं मैत्री संघ (इस्कफ) की ओर से रविवार को वेराइटी चौक के समीप एक होटल के सभागार में जिला सम्मेलन सह सेमिनार का आयोजन हुआ. भारत की साझी संस्कृति एवं विरासत विषयक सेमिनार हुआ. इसमें वक्ताओं ने कहा कि आज भारतीय संस्कृति पर हमला तेज हो गया है. सांप्रदायिक शक्तियां, संस्कृति की अपने धार्मिक नजरिया से व्याख्या कर रही है, जो देश की अखंडता और एकता पर खतरा है.
भारत विविधता में एकता वाला देश है. यहां विविध प्रकार की संस्कृति पायी जाती है. उत्तर भारत की संस्कृति दक्षिण भारत से भिन्न है एवं पूर्वोत्तर भारत में भी अलग-अलग प्रकार की संस्कृति पायी जाती है. इन सभी संस्कृतियों का साझा स्वरूप ही भारतीय संस्कृति है. भारत के सांस्कृतिक इतिहास में विभिन्न संस्कृतियों का योगदान है. आर्य, शक, हुन, कुशान और मुगल की सांस्कृतिक विशेषताएं समाहित है, जो हमारी साझी संस्कृति की खूबसूरती है तथा जो दुनिया में अनोखी है. हमें इस चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. देश की अखंडता और एकता के लिए भारत की साझी सांस्कृतिक और इसके विरासत की रक्षा करना होगा.
सेमिनार को तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के पूर्व विभागध्यक्ष डॉ उदय कुमार मिश्रा, बिहार राज्य अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप कुमार सिंह, इस्कफ के राज्य उपाध्यक्ष विजय नारायण मिश्रा, प्रो वसीम रजा, शिक्षक नेता मनोहर शर्मा, बालेश्वर गुप्ता ने संबोधित किया. सम्मेलन का उदघाटन इस्कफ के राष्ट्रीय कार्यकरणी सदस्य साथी देव कुमार झा ने किया. सेमिनार एवं सम्मेलन की अध्यक्षता तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के पूर्व डीएसडब्ल्यू प्रो उपेंद्र साह ने किया.25 सदस्यीय जिला परिषद का गठन, प्रो उपेंद्र साह अध्यक्ष व डॉ सुधीर शर्मा सचिव
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