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भागलपुर विस्फोट मामले की जांच अब तीन एजेंसियों की रिपोर्ट पर टिकी, जानें मौत के कारण कब होंगे स्पष्ट

काजीवलीचक विस्फोट मामलों की जांच में जिला प्रशासन से लेकर अब तक हुई लापरवाही की जांच पुलिस मुख्यालय कर सकता है. पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों ने इस बात के संकेत दिये हैं कि घटना की जांच पूरी होने के बाद मामले में घटना से पहले की कार्रवाई और घटना के बाद हुई जांच में लापरवाही की जांच की जायेगी.

भागलपुर. 3 मार्च को काजीवलीचक में विस्फोट के बाद आधे किलोमीटर दायरे में विस्फोट का धुंआ और गंध फैला हुआ था. घटनास्थल के पास पहुंचने पर लोगों की भीड़ और घटना में अपनों की जिंदगी गंवाने वालों की चीत्कार थी. इसी बीच कई लोगों ने अपनी जान पर खेल कर घटना में मलबे में दबे घायलों और मृतकों के शव को निकाला. करीब 32 घंटे तक चले ऑपरेशन में ध्वस्त हुए चार घरों का मलबा निकाला गया. घटना में कई तरह के चौंकाने वाले खुलासे भी हुए.

मामले में लोगों ने जहां इलाके में दशकों से चल रहे अवैध पटाखा कारोबार की बात कही तो कुछ जानकारों और विस्फोट की आवाज को करीब से सुनने वालों ने घातक विस्फोटकों के फटने की आशंका जतायी. घटना की जांच को लेकर एक तरफ एसआइटी का गठन किया गया. एसआइटी ने घटना के आठ दिन बीतने के बाद अपनी प्रारंभिक जांच के आधार पर मामले का खुलासा किया और विस्फोट का कारण पटाखा बताया.

हालांकि यह बात कई लोगों को अब तक हजम नहीं हो रही. पर पुलिस कप्तान ने विस्फोट कांड के प्रारंभिक जांच में भारी मात्रा में मौजूद पटाखा में हुए विस्फोट होने का खुलासा किया था. घटना में आधे सेकेंड के भीतर दो धमाके होने और उसी की वजह से तीन घरों के जमींदोज होने की बात कही गयी. एसएसपी ने मामले में अब भी एंटी टेररिज्म स्क्वैड (एटीएस), फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (एफएसएल) और बम डिटेक्शन एंड डिस्पोजल स्क्वैड (बीडीडीएस) की रिपोर्ट आने के बाद ही पूरी तरह से खुलासा करने की बात कही है. वहीं मामले में अभी पुलिस कुछ मृतकों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट का भी इंतजार कर रही है.

कहां हुई लापरवाही, जांच करेगा मुख्यालय

भागलपुर. काजीवलीचक विस्फोट मामलों की जांच में जिला प्रशासन से लेकर अब तक हुई लापरवाही की जांच पुलिस मुख्यालय कर सकता है. पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों ने इस बात के संकेत दिये हैं कि घटना की जांच पूरी होने के बाद मामले में घटना से पहले की कार्रवाई और घटना के बाद हुई जांच में लापरवाही की जांच की जायेगी. घटना की रात ही घटनास्थल से मलबा साफ करने से लेकर मलबे को असुरक्षित स्थान पर फेंक दिया गया. जहां मलबे की सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मियों की प्रतिनियुक्ति तक नहीं की गयी है. उसी मलबे को छांटकर कई लोग सामान के साथ-साथ कई अहम सबूत भी अपने साथ लेकर चले गये.

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इस बात का साफ उदाहरण है घटना के दो दिन बाद ग्लोकल अस्पताल के समीप फेंके गये मलबे से बरामद किया गया एक मृतक के शव का हिस्सा. इसी मामले में एटीएस ने भी पुलिस अधिकारियों से पूछा था कि किस घर का मलबा कहां है, जिस पर भागलपुर पुलिस के अधिकारियों ने चुप्पी साध ली थी. अगर उक्त चीजें व्यवस्थित ढंग और सूझबूझ से की गयी होती तो घटना के खुलासे को लेकर भागलपुर पुलिस के पास और भी पुख्ता सबूत हाथ लग सकते थे.

इस बात की भी जांच की जायेगी कि तातारपुर थाना से महज आधे किलोमीटर और कोतवाली थाना से महज 50 मीटर की दूरी पर दशकों से धड़ल्ले से अवैध पटाखा का निर्माण कर भारी मात्रा में उसका भंडारण किया जा रहा था. इसके बावजूद भागलपुर पुलिस के कनीय स्तर से लेकर वरीय स्तर तक के पदाधिकारियों ने इस पर संज्ञान क्यों नहीं लिया. यह बात भी उल्लेखनीय है कि घटनास्थल से महज 50 गज की दूरी पर भागलपुर सिटी डीएसपी का आवास स्थल भी है.

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